भ्रष्टाचार के खेल में सौरभ एक प्यादे की तरह था, चाल चलने वाले नेता और अधिकारियों पर कोई आंच नहीं है। यह साफ है कि इतनी बड़ी गड़बड़ी गठजोड़ के बिना नहीं हो सकती। सौरभ के यहां 18 दिसंबर को लोकायुक्त का छापा पड़ा था।
एक माह हो गए पर तीन जांच एजेंसियां सौरभ को नहीं पकड़ पाई हैं। अभी तक सौरभ व करीबियों के यहां लोकायुक्त, आयकर व ईडी के छापे में 93 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति मिल चुकी है।
कांग्रेस शासनकाल में भी बढ़ती गई वर्ष 2016 में भाजपा सरकार के समय सौरभ को परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी, जो सवालों के घेरे में है। इसके बाद परिवहन विभाग में उसका दखल और काली कमाई बढ़ती गई। दिसंबर 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी जो मार्च 2020 तक रही।
आरोप है कि इस दौरान सौरभ का विभाग में एकतरफा राज चला। इसके बाद भाजपा सरकार में भी भ्रष्टाचार का यह पौधा फलता-फूलता रहा। जून 2023 में त्यागपत्र देने तक सौरभ ने करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की। पूरे मामले में कांग्रेस आक्रामक तो भाजपा सरकार चुप है।
कांग्रेस को अपने शासन काल में भी भाजपा को घेरने का मौका मिल गया है, क्योंकि तत्कालीन परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत अब भाजपा में हैं। राजपूत भी आरोपों को निराधार बता रहे हैं और जांच में दूध का दूध और पानी का पानी होने का दावा कर रहे हैं।
विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने आरोप लगाया है कि भूपेंद्र सिंह ने नोटशीट लिखकर सौरभ की अनुकंपा नियुक्ति की अनुशंसा की थी। हालांकि, वे आरोपों को सिरे से खारिज कर यह तक कह चुके हैं कि आरोप साबित कर दें तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाए थे कि गोविंद सिंह राजपूत को परिवहन विभाग देने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ पर दबाव था और सौरभ शर्मा से उनकी नजदीकी रही है। उसके इशारे पर ही पदस्थापनाएं होती थीं।
मुख्यमंत्री बनने के कुछ दिन बाद डा. मोहन यादव ने नर्सिंग घोटाले की शुरू से जांच कराने के आदेश दिए थे, गड़बड़ी करने वालों को चिह्नित कर कार्रवाई की जा सके। परिवहन विभाग में घोटाला उजागर हुए एक माह हो गए, पर सौरभ को काली कमाई की छूट देने वाले अधिकारियों चिह्नित नहीं किया गया।
सौरभ के आवास से कथित तौर पर मिली डायरी में परिवहन विभाग के बड़े अधिकारियों नाम बताए जा रहे हैं। एक दस्तावेज में शार्ट फार्म में टीएम और टीसी लिखा मिला है, जिसे क्रमश: ट्रासपोर्ट मिनिस्टर और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर का अंदाजा लगाया जा रहा है।
छापे में भोपाल स्थित उसके कार्यालय से परिवहन नाकों में उपयोग होने वाले खाली रसीद-कट्टे और कुछ आरटीओ की सील मिली है। इसके बाद भी जांच का घेरा सौरभ तक सीमित है।
यही कारण है कि दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर लोकायुक्त की जगह आयकर व ईडी से जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस के अन्य नेता सीबीआइ जांच की मांग कर रहे हैं।
प्रदेश में दूसरा मामला इसी दौरान बिल्डर राजेश शर्मा के यहां आयकर छापे का है। इसमें पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस द्वारा राजेश शर्मा को आगे बढ़ाने का आरोप विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने लगाया था।
सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट को अनुमति दिलाने में कटारे ने उनकी भूमिका बताई थी। यहां भाजपा के बड़े नेताओं और अधिकारियों के प्लाट हैं। बैंस ने सफाई दी है कि उन्होंने जो भूमि खरीदी थी, वह एक वर्ष के भीतर ही बेच दी थी और इसका ब्यूोरा शासन को भी दिया था।
पूरे मामले में भाजपा सरकार परिवहन नाकों को बंद करने के निर्णय को मजबूती से रख रही है। 24 दिसंबर को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने कहा था कि सरकार बनने के बाद कई कठोर निर्णय लिए गए, उनमें एक टोल बैरियरों को बंद करने का था।
सरकार ने टोल पर आने वाली शिकायतों पर भी कठोरता से निपटने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करने और सुशासन के लिए प्रतिबद्ध है।