भोपाल। सांस लेना जीवन का सामान्य लक्षण है। मान्यता है कि प्रकृति ने हर इंसान को गिनती की सांसें दी हैं। अगर श्वास पर नियंत्रण पाया जा सके तो उम्र को लंबा किया जा सकता है। अब विज्ञान ने भी इसे प्रमाणित कर दिया है। एम्स भोपाल के एक शोध में सामने आया है कि श्वसन की दर धीमी कर देने से दिल, दिमाग और फेफड़े मजबूत होते हैं। लंबी आयु का भी यही रहस्य है।
एम्स भोपाल में आयुष फिजियोलाजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वरुण मल्होत्रा ने स्लो ब्रीथिंग पर यह शोध किया है। उनका कहना है कि समुद्री कछुआ एक मिनट में चार बार ही सांस लेता है। उसकी उम्र सामान्य तौर पर 300 वर्ष होती है।
अगर इंसान अपनी सांस की गति धीमी कर सके, तो उसकी आयु भी बढ़ सकती है। उने शोध में यह सामने आया कि धीमी गति से सांस लेने पर शरीर के कई अंगों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।
उन पर दबाव कम होता है और उनकी क्रियाशीलता बढ़ जाती है। इसकी वजह से इंसान की उम्र लंबी हो जाती है। डॉ. मल्होत्रा और उनकी टीम ने 150 लोगों पर पांच वर्षों तक यौगिक क्रिया के प्रभावों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। हाल ही में डॉ. वरुण मल्होत्रा का यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल रिसर्च गेट में प्रकाशित भी हुआ है।
डॉ. मल्होत्रा ने बताया कि एक स्वस्थ व्यक्ति एक मिनट में 12 से 20 बार सांस लेता है। इसका सामान्य औसत 18 बार का है। दौड़ने या भारी श्रम के दौरान इसकी दर 35 से 40 बार की हो जाती है। वहीं सोते समय एक मिनट में 12 से 15 तक श्वसन क्रिया होती है। यौगिक क्रियाओं के दौरान इसे एक मिनट में दो बार तक घटा लेने से फायदे बढ़ जाते हैं।