आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर स्थित ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई चल रही है। ईडी की अलग-अलग टीमों ने शुक्रवार सुबह एक साथ तीनों शहरों में छापे मारे। सूत्रों के मुताबिक, रेड में कई अहम दस्तावेज मिले हैं।
ईडी की टीम सुबह करीब 5 बजे भोपाल में अरेरा कॉलोनी ई-7 स्थित मकान नंबर 78 और 657 समेत 1100 क्वार्टर स्थित जयपुरिया स्कूल के दफ्तर पहुंची। फिलहाल, अधिकारी दीवारों और फर्श की मेटल डिटेक्टर और अन्य आधुनिक उपकरणों के साथ जांच कर रहे हैं।
अफसरों को आशंका है कि जिस तरह लोकायुक्त के छापे के दौरान सौरभ के घर में टाइल्स के नीचे ढाई किलो चांदी मिली थी, उसी तरह इन ठिकानों पर और भी सोना और चांदी छिपाकर रखा गया है।
ग्वालियर एसपी बोले- किसकी रेड, नहीं पता ग्वालियर के बहोड़ापुर स्थित सौरभ शर्मा की कोठी पर सुबह 5 बजे ही पुलिस फोर्स के साथ ईडी ने दबिश दी। फिलहाल, घर के बाहर फोर्स तैनात है, अंदर अफसर सर्चिंग कर रहे हैं। हालांकि, ग्वालियर एसपी धर्मवीर सिंह का कहना है कि रेड किसकी है, यह अभी उनको भी नहीं पता है। किसी भी जांच एजेंसी ने ग्वालियर पुलिस से संपर्क नहीं किया है।
पड़ोस में रहने वाले रिटायर्ड डीएसपी मुनीष राजौरिया ने बताया- ये डॉ. राकेश शर्मा का घर है। उनके दो लड़के सचिन और सौरभ शर्मा हैं। सचिन छत्तीसगढ़ में नौकरी करता है। सौरभ भोपाल में ही रहता था। यहां उसका बहुत कम आना-जाना होता है।
जबलपुर में साले के नाम से निवेश खंगाल रही ईडी जबलपुर में शास्त्री नगर स्थित बिल्डर रोहित तिवारी के घर पर भी भोपाल से ईडी की टीम पहुंची है। जबलपुर में सौरभ शर्मा का ससुराल है। सूत्रों ने बताया कि ईडी के अधिकारी रोहित के परिवार के सदस्यों से पूछताछ कर रहे हैं। सौरभ ने अपनी पत्नी दिव्या के भाई शुभम तिवारी के नाम से करोड़ों का निवेश किया है। इसके अलावा दोस्त चेतन सिंह गौर और बहनोई रोहित तिवारी के नाम भी निवेश का पता चला है। ईडी की टीम इसकी पड़ताल में जुटी है।
सौरभ ने 2012 में कंस्ट्रक्शन कंपनी- ओमेगा रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड बनाई थी। इसमें चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल डायरेक्टर जबकि रोहित तिवारी एडिशनल डायरेक्टर बनाए गए।
गोल्ड-कैश से भरी कार छापे के दौरान निकली थी उधर, परिवहन विभाग में रहकर करोड़ों की संपत्ति जुटाने वाले सौरभ शर्मा के ठिकानों पर कार्रवाई में लोकायुक्त पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है। 19 दिसंबर को सुबह 6 बजे जब लोकायुक्त पुलिस की टीम ने सौरभ शर्मा के अरेरा कॉलोनी ई-7 स्थित मकान नंबर 78 और ई-7/657 पर एक साथ कार्रवाई की थी, उसी दौरान गोल्ड और कैश से भरी कार कॉलोनी से निकली थी।
सूत्रों के मुताबिक, ये कार ई-7 से ही निकली थी। छापों के बाद कार क्रमांक एमपी 04 बीए 0050 गुरुवार देर रात मेंडोरी में एक फार्म हाउस के अंदर मिली थी। यह सौरभ शर्मा के सहयोगी चेतन सिंह गौर की है। कार को प्यारे नाम का युवक चला रहा था। उसकी मोबाइल लोकेशन से पता चला है कि छापों के दौरान ये कार अरेरा कॉलोनी के ई-7 में थी । प्यारे फिलहाल पुलिस की पहुंच से दूर है।
मामले में 23 दिसंबर को ईडी की एंट्री हुई थी। ईडी ने सौरभ और उसके सहयोगी चेतन गौर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। वहीं, लोकायुक्त ने सौरभ शर्मा समेत 5 लोगों को समन जारी किया है।
अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो चुकी आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की अग्रिम जमानत याचिका भोपाल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी थी। सौरभ ने अपने वकील राकेश पाराशर के जरिए याचिका फाइल की थी। पाराशर ने अदालत में दलील दी कि आरोपी लोक सेवक नहीं है, उसे अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाए। न्यायाधीश ने अपने आदेश में उसे लोक सेवक मानते हुए और अपराध की गंभीरता को देखते हुए अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।
वकील बोला- लोकायुक्त की कार्रवाई गलत सौरभ के वकील राकेश पाराशर ने कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लोकायुक्त की कार्रवाई को गलत बताया है। एडवोकेट राकेश पाराशर के मुताबिक, सौरभ लोकसेवक नहीं है। इसके बाद भी लोकायुक्त ने उसके घर छापा मारा। यह कार्रवाई पूरी तरह से गलत है। जिस कार में सोना मिला, वो उसके नाम नहीं है। इस सोने से भी उसका कोई लेना-देना नहीं है। पाराशर ने कहा-
हम चाहते हैं कि हमें अग्रिम जमानत का फायदा मिले, जिससे हम पूरी मजबूती के साथ सामने आएं और अपनी बात को रख सकें। हम जांच में पूरी तरह से सहयोग करने को तैयार हैं। जहां हिसाब देना होगा, वो भी देंगे। इससे साफ हो जाएगा कि सौरभ के पास बरामद माल कहां से और कैसे आया है।