जहां तक फ्रांस के खिताब की रक्षा करने की बात है तो यह काम थोड़ा मुश्किल लगता है। यह सही है कि उसके पास एमबापे, करीम बेंजेमा और डेंम्बले ओसमैन के रूप में बेहतरीन फॉरवर्ड हैं। लेकिन मिडफील्ड की जान माने जाने वाले कांटे और पोगबा के चोटिल होने की वजह से बाहर होने के कारण टीम में थोड़ी कमजोरी आई है। कोच डेसचैंप ने इसकी भरपाई का प्रयास जरूर किया है पर देखना होगा कि वह मिडफील्ड में कितने सफल हो पाते हैं।
ब्राजील की जब भी बात होती है तो नेमार का नाम सबसे पहले जेहन में आता है, क्योंकि उन्हें इस टीम की जान माना जाता रहा है। पर इस बार ब्राजील ने उनको केंद्रित करके योजना नहीं बनाई है। असल में पिछले विश्व कपों में उनको केंद्रित करके बनाई योजनाएं टीम को चैंपियन बनाने में असफल रही थीं। बेहतरीन प्लेयर होने के बावजूद नेमार अब तक अपनी टीम को विश्वकप नहीं दिला सके हैं। इस कारण टीम को 2002 में आखिरी बार कप्तान के तौर पर खिताब दिलाने वाले काफू ने कोच रहते ऐसी योजना बनाई है, जिसमें नेमार के ऊपर टीम की निर्भरता कम कर दी गई है। इस बार टीम के हमलों की कमान विनीसियस जूनियर, रिचर्लीसन और राफिन्हा के हाथों में रहेगी।
- नेमार की तरह ही दुनिया के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ियों में शुमार होते हैं, अर्जेंटीना के लियोनल मेसी। अर्जेंटीना ने भी इस बार लियोनल मेसी को केंद्र में रखकर रणनीति नहीं बनाई है।
- इस टीम की पिछले कुछ समय की सफलताओं पर नजर दौड़ाएं तो साफ होता है कि इसके पीछे प्रतिभाशाली मिडफील्डरों की तिकड़ी-रोड्रिगो डि पॉल, अलजांद्रो गोमेज और लियेंद्रो- की प्रमुख भूमिका रही है। असल में यह तिकड़ी अपने शानदार प्रदर्शन से मेसी के लिए पर्याप्त स्पेस बनाकर देती रही है।
- इस टीम की दिक्कत यह है कि मेसी के साथ डि मारिया की टेलीपैथी मानी जाती है। पर वह चोट से पूरी तरह उबर नहीं सके हैं। अगर फिट हुए बिना खेले तो टीम को झटका लग सकता है।
पिछले विश्व कप में सेमीफाइनल तक चुनौती पेश करने वाली इंग्लैंड की टीम का पिछले कुछ दिनों में जिस तरह का प्रदर्शन रहा है, उससे वह खिताब की दावेदारों में शुमार मानी जा रही है। इंग्लैंड टीम की जान उसके मजबूत डिफेंस को माना जा रहा है। हालांकि उसके पास केन हेनरी, साका और स्टर्लिंग के रूप में अच्छे फॉरवर्ड हैं। पर इंग्लैंड की दिक्कत यह है कि उसका क्वॉर्टर फाइनल में फ्रांस या अर्जेंटीना से मुकाबला हो सकता है। इसलिए क्वॉर्टर फाइनल में एक ना एक टीम धराशायी होनी है। जहां तक बात जर्मनी की है तो वह हमेशा ही टफ खेलने में विश्वास रखती है और उसकी चुनौती को कभी कम नहीं आंका जा सकता। पिछले दिनों मेसी से जब उनकी टीम अर्जेंटीना के अलावा अन्य दावेदारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारी टीम के अलावा ब्राजील, फ्रांस और इंग्लैंड अन्य टीमों के मुकाबले कहीं मजबूत हैं।
वैसे पुर्तगाल, स्पेन और बेल्जियम के रूप में अन्य तगड़ी टीमें भी हैं। ये सभी टीमें अपना दिन होने पर किसी भी टीम को हराने की क्षमता रखती हैं। पुर्तगाल के स्टार खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो वैसे तो 2026 तक खेलने का इरादा रखते हैं पर उस समय विश्व कप तक वह 41 साल के हो जाएंगे। इसलिए उनसे बेस्ट खेल की उम्मीद तो नहीं की जा सकेगी। वह अपने करियर के चरम पर रहते हुए अपनी टीम पुर्तगाल को चैंपियन बनाने में सफल नहीं रहे। आजकल तो वह सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में भी नहीं हैं। इसलिए टीम से बहुत उम्मीदें नहीं की जा रही हैं। चार बार खिताब जीत चुकी इटली इस विश्वकप में कहीं मुकाबले में नजर नहीं आएगी क्योंकि वह इस बार क्वॉलिफाई ही नहीं कर सकी है।