बिहार-यूपी में कट सकते अधिक नाम
सूत्रों के अनुसार, यूपी, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड और बंगाल में सबसे
ज्यादा दोहरे मतदाता मिलने की संभावना जताई जा रही है। दो मतदाता सूचियों
में नाम होने की वजह इन राज्यों से प्रवासियों का काम के सिलसिले में अन्य
राज्यों में जाना है। लेकिन, अन्य राज्यों में जाने के बावजूद ये लोग अपने
पैतृक घर के अलावा दूसरे राज्य की मतदाता सूची में भी नाम दर्ज करा लेते
हैं। काम वाले स्थान में तो यह स्वयं मतदाता सूची में अपडेट करते रहते हैं,
जबकि पैतृक स्थान में उनके परिजन सूची अपडेट कर देते हैं।
दिल्ली-एनसीआर इसका एक उदाहरण है। इस क्षेत्र में उत्तराखंड, यूपी, बिहार, बंगाल और झारखंड के लोगों की बहुतायत है। यह भी जरूरी नहीं है कि यह डबल वोटर मतदान के उद्देश्य से ही अपना नाम मतदाता सूची में रखते हैं, इसके पीछे अन्य वजह भी हैं। एक बार सभी मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में जुड़ने के बाद आयोग राज्य स्तर पर उनका मिलान करेगा। उसके बाद मिलान अंतरराज्यीय स्तर पर होगा और अंत में एक मतदाता सूची तैयार की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, 2024 का लोकसभा चुनाव इसी अद्यतन सूची के आधार पर होगा।
देश में 90 करोड़ से ज्यादा मतदाता
देश में 90 करोड़ से ज्यादा वोटर है, जिनमें से 18 -19 वर्ष के वोटरों की
संख्या डेढ़ करोड़ के आसपास है। एडीआर के संस्थापक प्रो.जगदीप छोकर के
अनुसार मतदाता सूची के आधार से लिंकिंग एक त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया है। वोटर
कार्ड को इसके साथ जोड़ने के बाद वोटरों की संख्या घट सकती है। लेकिन, यदि
तेलंगाना और आंध्र का उदाहरण देखें तो 2015 में आधार लिंकिंग के कारण 25
लाख वोटरों के नाम सूची से काट दिए गए थे।
लिंकिंग स्वैच्छिक
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने की कार्रवाई
स्वैछिक है, लेकिन जमीनी रिपोर्ट यह नहीं है। आयोग के कर्मचारी वोटरों को
आवश्यक रूप से सूची में अपना नाम जुड़वाने के लिए कह रहे हैं और चेतावनी दे
रहे हैं कि यदि लिंक नहीं करवाया तो उनका नाम वोटर लिस्ट से कट जाएगा।
सूची लिंकिंग के इस काम की सघन निगरानी की जा रही है। रोजाना के आधार पर
बीएलओ से रिपोर्ट मांगी जा रही है। हालांकि, जानकारों ने कहा है कि आधार से
लिंकिंग की जा रही है, लेकिन जब आधार ही डुप्लीकेट हैं तो लिंकिंग का
उद्देश्य कैसे पूरा होगा। आधार अथॉरिटी ने पिछले दिनों पांच लाख डुप्लीकेट
आधार को निरस्त कर दिया था।