नई दिल्ली: लेबनॉन में पेजर ब्लास्ट में कम से कम 11 लोग मारे गए हैं जबकि 3,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इस पेजर की कहानी भी अजीब है। अमूमन अमेरिका और पश्चिमी देशों की कंपनियां चीन और ताइवान में बड़े पैमाने पर सामान बनाती हैं लेकिन इस पेजर का मामला उल्टा है। यह ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो का पेजर था जिसे यूरोप की एक कंपनी ने बनाया था। गोल्ड अपोलो का कहना है कि उसने लेबनान या मिडिल ईस्ट को कोई पेजर नहीं भेजा है। कंपनी का कहना है कि लेबनान में हिजबुल्ला के मेंबर AR-924 मॉडल के पेजर को यूज कर रहे थे उसका डिजाइन और निर्माण बुडापेस्ट की कंपनी BAC Consulting KFT ने किया था।
गोल्ड अपोलो के एक अधिकारी ने कहा कि 2022 से अगस्त 2024 के बीच कंपनी ने 260,000 पेजर्स का निर्यात किया। इनमें से अधिकांश अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भेजे गए। कंपनी के फाउंडर और चेयरपर्सन सू चिंग-कुआंग ने कहा कि लेबनान में हुए हमले में इस्तेमाल पेजर को एक डिस्ट्रिब्यूटर में बनाया था। गोल्ड अपोलो ने कुछ खास इलाकों में सेल के लिए BAC को अपना ब्रांड ट्रेडमार्क यूज करने की अनुमति दी थी। सू ने कहा कि कंपनी के रेमिटेंस को लेकर समस्या रहती थी। उनका कहना था कि पेमेंट मिडिल ईस्ट से आती थी। हालांकि उन्होंने इस बारे में ज्यादा खुलासा नहीं किया।
कैसे किया काम
एडवांस्ड ट्रैकिंग सिस्टम से बचने के लिए हिजबुल्ला के आतंकी पेजर्स का इस्तेमाल करते थे। लेकिन लेबनान के सिक्योरिटी फोर्सेज का आरोप है कि इजरायली इंटेलीजेंस एजेंट्स ने सप्लाई चेन में घुसकर पेजर्स को मॉडिफाई किया और उन्हें लेबनान भेजने से पहले उनमें विस्फोटक लगाए गए। जैसे ही उन पर मैसेज आया, उनमें धमाका हो गया। लेबनान के एक सीनियर सिक्योरिटी अधिकारी ने कहा कि इस पूरे ऑपरेशन को बहुत बारीकी के साथ प्लान किया गया था। प्रॉडक्शन स्टेज में विस्फोटक मिलाया गया और फिर इसे रिमोट से एक्टिवेट कर दिया गया। जानकारों का कहना है कि यह कई दशक में हिजबुल्ला की सबसे बड़ी चूक है।