( संजय रायजादा )
"बर्बाद गुलिस्तां करने को एक ही उल्लू काफी है,हर शाख पर उल्लू बैठे हैं अंजाम गुलिस्तां क्या होगा"। गुजरे जमाने के मशहूर शायर रियासत हुसैन रिजवी उर्फ शौक बहराइची का यह शेर मध्यप्रदेश के लोक निर्माण विभाग में पूरी तरह फिट है।
भ्रष्टाचार को लेकर बदनाम इस विभाग के ईमानदार मंत्री राकेश सिंह जहां इसकी छवि सुधारने के लिए विभिन्न आरोपों , विभागीय जांच , लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के मुक़दमों में फंसे होने के बावजूद महत्वपूर्ण पदों पर जमे दागी इंजीनियरों को हटाने में जुटे हैं वहीं विभाग के उपसचिव नियाज़ खान ने प्रमुख सचिव के सी गुप्ता से मिलकर अपनी बिरादरी के रिटायर हो चुके एक दागी इंजीनियर नईमुद्दीन सिद्दिकी को राज्य मंत्रालय में किसी तरह की नियुक्ति ( संविदा / अनुबंध ) दिए बिना ही तैनात कर लिया है।
मजेदार बात तो यह है कि पिछले दरवाजे से लीगल एक्सपर्ट के रूप में एक दागी रिटायर इंजीनियर की सेवा लेने वाले उपसचिव नियाज़ खान ने विभागीय प्रमुख सचिव के सी गुप्ता की शह पर हर महिने उनके वेतन भत्ते के बराबर की राशि का इंतजाम करने के मौखिक निर्देश विभाग की एक महत्वपूर्ण इकाई के प्रभारी पर थोंप दिए हैं।
लोकायुक्त द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने के मामले में अदालती मुकदमे में फंसे इस दागी इंजीनियर ने ना केवल राज्य मंत्रालय वल्लभ भवन में अपनी आमद दर्ज करा दी हैं बल्कि उपसचिव नियाज़ खान की कृपा के चलते विभाग के ओएसडी कक्ष के बगल में स्थित चेम्बर में बैठकर विधिवत कामकाज भी शुरू कर दिया है।
सरकार की नाक के नीचे हुई इस अवैध नियुक्ति की कोशिश होने की खबर मिलने पर एस आर पत्रिका ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह से इस संबंध सवाल पूछा था जिसके जवाब में उन्होंने अनभिज्ञता जताते हुए ऐसी कोई नियुक्ति होने से साफ इंकार कर दिया था। इसके साथ ही विभागीय मंत्री ने ऐसे किसी भी दागी इंजीनियर को किसी तरह की नियुक्ति ( आउटसोर्स / संविदा ) नहीं देने का सार्वजनिक ऐलान भी किया था।
प्रदेश में मोहन यादव सरकार बनने के बाद सिद्दीकी ने कुछ लीगल मामलों में विभाग के उपसचिव नियाज़ खान की मदद करके उनसे नजदीकी बढा ली । फिर एक ही बिरादरी के होने का फायदा उठाते हुए उनके जरिए अवैध नियुक्ति हासिल करके सुशासन स्थापित करने की कोशिश में जुटे विभागीय मंत्री राकेश सिंह की मंशा पर पानी फेर दिया।
एक महीने पहले ही करीब दर्जन भर दागी इंजीनियरों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से हटाने वाले विभागीय मंत्री राकेश सिंह को दोनों उच्च अधिकारियों के सी गुप्ता और नियाज़ खान ने इस मामले में अंधेरे में रखा और उन्हें इस अवैध नियुक्ति के बारे में कुछ भी नहीं बताया।
10 महिने की मोहन सरकार में शायद यह पहला मामला है जिसमें दो उच्चाधिकारी अपने विभागीय मंत्री को गुमराह कर रहे हैं और पाक साफ इंजीनियरों को आगे लाने की मंत्री की इच्छा को ठेंगा बता रहे हैं। वह भी तब जब यह कारनामा दिखाने वाले उपसचिव नियाज़ खान खुद कई तरह के विवादों में घिरे हुए हैं।
"बागड ही खेत खाने लगे" की कहावत को चरितार्थ करने वाले इस मामले में एस आर पत्रिका ने लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह से जानकारी लेने चाही लेकिन उनकी व्यस्तताओं के चलते बात नहीं हो सकी। उनका पक्ष जानने के बाद उसे जल्दी ही पाठकों तक पहुंचाया जाएगा।