( संजय रायजादा )
मध्यप्रदेश के लोक निर्माण विभाग में 32 साल से फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी कर रहे जबलपुर के प्रभारी चीफ इंजीनियर सुरेश चंद्र वर्मा को अन्य प्रभारी चीफ इंजीनियरों से वरिष्ठ बनाने के कुत्सित प्रयास को रोकने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग में शिकायत की गई है। एक संगठन ने विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे को पत्र लिखा है और इसकी प्रति प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी है ।
पत्र में कहा गया है कि एक स्थान पर 3 साल पदस्थ रहने के सरकार के नियम को ठेंगा दिखाते हुए 20 साल से जबलपुर में पदस्थ विभिन्न आरोपों में घिरे वर्मा को सभी प्रभारी चीफ इंजीनियरों में वरिष्ठ बनाने का षड्यंत्र रचा गया है। इसके चलते पिछले महीने के आखिरी हफ्ते में दो बार विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक आयोजित करने की असफल प्रयास हो चुका है।
हालांकि नियम विरुद्ध होने के चलते दोनों बार वर्मा को 2012 में दी गई वरिष्ठता सूची में पहले नंबर पर लाने की कोशिश परवान नहीं चढ़ सकी है।
शिकायती पत्र में कहा गया है कि 2012 में हुई डी पी सी में के पी एस राणा , संजय मस्के और एस सी बौरासी आरक्षित कोटे की पूर्ति के लिए विचारण क्षेत्र बढ़ाकर पदोन्नत किए गए सुरेश चंद्र वर्मा से वरिष्ठ हैं। लेकिन 12 साल बाद इस वरिष्ठता सूची में संशोधन करके वर्मा को इन तीनों से वरिष्ठ बनाने की साज़िश को अंजाम देने का प्रयास किया जा रहा है ताकि उन्हें ईएनसी बनाया जा सके।
पत्र में वर्मा के जाति प्रमाणपत्र की प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत होने और विभिन्न स्तरों पर इसकी जांच पड़ताल जारी होने की बात कही गई है। पत्र में वर्मा पर लगे भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों का भी सिलसिलेवार ब्यौरा दिया गया है।
शिकायत कर्ता ने सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव से भ्रष्टाचार के लिए बदनाम विभाग में वरिष्ठता सूची में फेरबदल करके एक नए भ्रष्टाचार को रोकने की गुहार लगाई है। उन्होंने इस शिकायती पत्र की प्रति प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजी है और इस पर समुचित कार्रवाई नहीं होने पर अदालत की शरण लेने को कहा है।
गौरतलब है कि पिछले महीने 24और 28 अक्टूबर को वर्मा की वरिष्ठता का फिर से निर्धारण करने के लिए डीपीसी की बैठक आयोजित की गई थी।इसके लिए पीएससी के दो सदस्यों को भी भोपाल बुला लिया गया था।
लेकिन नियम विरुद्ध होने के चलते दोनों बैठकों में पीएससी के सदस्य वर्मा को सबसे वरिष्ठ बनाने के लिए तैयार नहीं हुए। इसके बावजूद तीसरी बार डीपीसी की बैठक आयोजित करके एक दागी इंजीनियर को उपकृत करने का प्रयास चल रहा है जिसके लिए प्रभारी चीफ इंजीनियर पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं।