नई दिल्ली: न्यूजीलैंड और भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों के बीच हमेशा से ही रिश्ते बेहद दोस्ताना रहे हैं। लेकिन, नई सदी के शुरुआत में जब न्यूजीलैंड के पूर्व ओपनर जॉन राइट ने पहले विदेशी कोच के तौर पर टीम इंडिया की कमान संभाली उसके बाद से इन दोनों की क्रिकेट संस्कृति को बेहद नजदीक आने का मौका भी मिला। राइट ने भारत की कोचिंग के बाद अपने मुल्क की भी कोचिंग की, लेकिन उन्हें भारत जैसी कामयाबी अपने देश में भी नहीं मिली। हाल ही में राइट से हमने भारतीय क्रिकेट से जुड़े कुछ अहम मुद्दों पर खास बात-चीत की...सवाल: क्या आपको 2003 के विश्व कप में वीवीएस लक्ष्मण को अपनी टीम में शामिल नहीं करने का मलाल है? आपने अपनी पुस्तक में यह भी लिखा है कि भारत को कोचिंग देते समय आपको यही पछतावा है कि आपने विश्व कप 2003 टीम में वीवीएस को नहीं चुना?जवाब: हम उस टूर्नामेंट में बहुत भाग्यशाली थे कि हमारा कोई खिलाड़ी घायल नहीं हुआ, क्योंकि अगर हमारे सीनियर बल्लेबाजों में से किसी एक को भी चोट लग जाती और अगर हमारे पास वीवीएस नहीं होता तो यह हमारे लिए एक त्रासदी होती। आप जानते हैं कि जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं तो यह एक अफसोस की बात है, क्योंकि वह एक अच्छे खिलाड़े थे, समस्या यह थी कि हम अपने शीर्ष तीन में काम करने की कोशिश कर रहे थे। विश्व कप के बाद हम पाकिस्तान गए और एक महत्वपूर्ण मैच में जो की शायद सीरीज का आखिरी मैच था, उसमें वीवीएस ने 100 बनाया। यह या तो चौथा या 5 वां मैच था वीवीएस को एक दिवसीय क्रिकेट में 3 पर बल्लेबाजी मिली और फिर उन्हें फिर से देखना अच्छा रहा। ईमानदारी से कहूं तो कोलकाता में ईडन गार्डंस में में वीवीएस और राहुल के व्यक्तिगत प्रदर्शन(जिसके चलते भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराया और फिर 2-1 से सीरीज जीती) के बिना मेरा कार्यकाल शायद पूरा नहीं हो सकता था. सवाल: आपके मुताबिक क्या आधुनिक समय के कोच के खिलाड़ियों के साथ बहुत अच्छे होने चाहिए या कोच को अपनी सोच पर ज्यादा जोर देना चाहिए जैसा ग्रेग चैपल के साथ कुछ वर्षों के बाद हुआ आप एक कोच के रूप में कैसे संतुलन बनाते हैं जहां आपको हर चीज के साथ चलना पड़ता है साथ ही साथ आप टीम और कप्तान का भी सम्मान करें?
जवाब: मैदान पर प्रभारी कप्तान होता है। एक कोच बस टीम को अच्छी तरह से तैयार करने की कोशिश करते हैं और आप कोशिश करते हैं और प्रत्येक खिलाड़ी को उसकी ताकत समझाने और बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इसलिए इसे जितना हो सके सरल रखें। कई मौकों पर आप खिलाड़ियों से सहमत नहीं हो सकते थे, और खिलाड़ी आपसे सहमत नहीं होंगे, लेकिन आपको उन रायों का सम्मान करना होगा और बस इसके साथ आगे बढ़ना होगा और यह वास्तव में महत्वपूर्ण था, कई बार टीम आपसे सहमत नहीं हो सकती है मगर उन्हें लगना चाहिए कि आप व्यक्तिगत रूप से और एक टीम के रूप में उनकी परवाह करते हैं, मुझे लगता है कि एक कोच के रूप में टीम का देखभाल करना चाहिए...और ये वास्तव में महत्वपूर्ण है क्योंकि, आप जानते हैं, कोच और खिलाड़ियों का संबंध सकारात्मक होना चाहिए।
सवाल: आप राहुल द्रविड़ की वजह से भारत आए। वह केंट के लिए खेल रहे थे और फिर वह आपसे मिले और उन्होंने स्पष्ट रूप से सीनियर खिलाड़ियों को मना लिया और फिर आप भारत के कोच के रूप में नियुक्त हुए, क्या आपने कभी 20 साल बाद कल्पना की थी कि राहुल द्रविड़ भारतीय टीम को कोचिंग देंगे अब तक लगभग एक साल की राहुल की कोचिंग पर आपका क्या आकलन है?जवाब: वैसे मुझे राहुल सहित सभी खिलाड़ियों की उपलब्धियों से कोई आश्चर्य नहीं है, वे सभी व्यक्तिगत रूप से अपने तरीके से योगदान दे रहे हैं, या तो राज्य स्तर पर कोचिंग या सलाह या नेतृत्व के माध्यम से या राष्ट्रीय स्तर पर या मीडिया में वो क्रिकेट का भला कर रहा हैं … मैं तभी जान चुका था कि भारतीय टीम के खिलाड़ी एक उत्कृष्ट ग्रुप था और आज यह सबूत है कि उन सभी खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट में सकारात्मक योगदान दिया है।