बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के लिए जब भारत की प्लेइंग-11 घोषित हुई तो फैंस से लेकर एक्सपर्ट तक सब हैरान रह गए। इसमें कुलदीप यादव का नाम शामिल नहीं था। कुलदीप ने पहले टेस्ट में 8 विकेट लिए थे और 40 रन की उपयोगी पारी खेली थी। इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था।
कप्तान केएल राहुल ने कुलदीप को बाहर करने के पीछे क्या लॉजिक दिया। क्या लॉजिक में कोई दम है भी या नहीं। पूर्व क्रिकेटर अजय जडेजा और अंजुम चोपड़ा क्या कहते हैं।
कप्तान का लॉजिक- पेसर चाहिए, इसलिए कुलदीप की जगह उनादकट
चोटिल रोहित शर्मा की गैरहाजिरी में केएल राहुल इस सीरीज में टीम इंडिया की कप्तानी कर रहे हैं। दूसरे टेस्ट के टॉस के वक्त उन्होंने कहा कि यह पिच फास्ट बॉलर्स के लिए ज्यादा मददगार दिख रही है। इसलिए तीन फास्ट बॉलर्स को शामिल करने का फैसला किया गया। इस स्थिति में कुलदीप की प्लेइंग-11 में जगह नहीं बनती है। कुलदीप की जगह बाएं हाथ के मीडियम पेसर जयदेव उनादकट को टेस्ट खेलने का मौका मिल गया।
पिच का इतिहास लॉजिक से उलट, स्पिनर्स को मिले ज्यादा विकेट
बांग्लादेश के शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम की पिच पर थोड़ी घास थी और इसे देखकर ही राहुल ने मन बना लिया कि पिच फास्ट बॉलर्स के लिए हेल्पफुल होगी। हालांकि, यहां का इतिहास इसके उलट है। इस ग्राउंड पर अब तक 24 टेस्ट मैच में स्पिनर्स ने 411 तो फास्ट बॉलर्स ने 267 विकेट लिए हैं। इस मैच से पहले यहां खेले गए 5 टेस्ट मैचों में स्पिनर्स ने 94 विकेट लिए थे।
लॉजिक पर सवाल- अक्षर या अश्विन को बाहर क्यों नहीं किया?
अगर पिच फास्ट बॉलर्स के लिए मददगार थी भी तो सवाल यह उठता है कि पिछले टेस्ट के मैन ऑफ द मैच कुलदीप को बाहर करने की क्या जरूरत थी। लेफ्ट आर्म स्पिनर अक्षर पटेल को भी रेस्ट दिया जा सकता था। पहले टेस्ट में अक्षर ने पहली पारी में 1 तो दूसरी पारी में 4 विकेट लिए थे। उस टेस्ट मैच में भारत के लिए सबसे कमजोर स्पिनर रविचंद्रन अश्विन साबित हुए थे। अश्विन पूरे मैच में सिर्फ 1 विकेट ले पाए थे। पहली पारी में उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली थी।