कर्म ही पूजा है... क्या भारत में अब इस लाइन से हटने का समय आ गया है?

Updated on 26-09-2024 11:45 AM
वह 26 वर्ष की थी। उसने हाल में चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स पूरा करके EY में अपनी पहली नौकरी हासिल की थी। अभी उन्हें नौकरी लगे चार महीने ही हुए थे कि एना सेबेस्टियन पेराइल की हार्ट अटैक से मौत हो गई। उनकी मां ने EY इंडिया के चेयरमैन को वर्क कल्चर के बारे में एक पत्र लिखा। उन्हें पक्का यकीन था कि इसी के कारण उनकी बेटी की मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि एना स्कूल और कॉलेज में अव्वल थी और उसने अपनी CA परीक्षा डिस्टिंक्शन के साथ पास की थी। उसने अथक परिश्रम किया और वह काम को ना कहना नहीं जानती थी। तो क्या हमें ना कहने की आदत होनी चाहिए? क्या हमें शायद थोड़ी कम मेहनत करनी चाहिए?

दुनिया के सबसे अधिक मेहनती लोगों में हैं भारतीय


पिछले साल McKinsey की एक रिपोर्ट आई थी जो एक सर्वे पर आधारित थी। इस सर्वे में भारत में हिस्सा लेने वाले करीब 60% लोगों का कहना था कि उनमें थकावट के लक्षण हैं। यह सर्वे 30 देशों में किया गया था और भारत में सबसे ज्यादा लोगों ने थकावट की बात कही थी। 2019 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि मुंबई दुनिया का सबसे अधिक मेहनती शहर था। इस लिस्ट में दिल्ली चौथे नंबर पर था। दूसरे नंबर पर हनोई और तीसरे पर मैक्सिको सिटी था। साल 2018 के एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि दुनिया में सबसे कम छुट्टी भारतीयों को ही मिलती है।

2021 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने लंबे समय तक काम करने के प्रभाव पर एक अध्ययन प्रकाशित किया। इसमें कहा गया कि सप्ताह में 55 घंटे या उससे अधिक काम करना 35-40 घंटे काम करने की तुलना में समय से पहले मृत्यु के जोखिम से बहुत अधिक जुड़ा हुआ है। और लंबे समय तक काम करने के कारण स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण मरने वाले लोगों की सबसे अधिक संख्या कहां थी? भारत। केवल जनसंख्या के आकार के आधार पर ऐसा नहीं था क्योंकि भारत के आंकड़े चीन की तुलना में बदतर हैं।

49 घंटे का सप्ताह


ILO डेटा से पता चलता है कि आधे से ज्यादा रोजगार प्राप्त भारतीय (51.4%) प्रति सप्ताह 49 घंटे या उससे ज़्यादा काम करते हैं। यह भूटान (61.3%) के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा है। भारत के वीकली एवरेज वर्किंग आवर्स (46.7%) के मामले में भारत 170 देशों में 13वें नंबर पर हैं। यह कांगो और बांग्लादेश जैसे लो इनकम वाले देशों से भी पीछे है। इसमें केवल दो उच्च आय वाले देश संयुक्त अरब अमीरात और कतर अपवाद हैं।

भारत की हाई प्रेशर वर्क कल्चर के सबसे नजदीक चीन है, जो टॉक्सिक '996' कार्य संस्कृति का घर है। वहां लोग औसतन 46 घंटे प्रति सप्ताह अपने काम में लगाते हैं। चीन की '996' कार्य संस्कृति का मतलब है सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक हफ्ते में छह दिन काम करना। चीन के टेक टाइकून जैक मा ने इसका महिमामंडन किया था।

क्या सभी एक ही नाव में सवार हैं?


भारत के इनफॉर्मेशन और कम्युनिकेशन सेक्टर का सबसे बुरा हाल है। आईएलओ के आंकड़ों से पता चलता है कि इस सेक्टर में कर्मचारी हफ्ते में 57.5 घंटे काम करते हैं जो इंटरनेशनल लेबर मेंडेट से लगभग नौ घंटे अधिक है। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड क्लासिफिकेशन ऑफ ऑक्युपेशंस के तहत 20 क्षेत्रों में से 16 में कर्मचारी सप्ताह में 50 घंटे या उससे अधिक काम करते हैं। इसलिए भारत में पेशेवर, वैज्ञानिक और तकनीकी गतिविधियों की श्रेणी में भी हफ्ते में 55 घंटे काम होता है। केवल कृषि और निर्माण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्र ही 48 घंटे के कार्य सप्ताह के करीब आते हैं।

युवा सबसे अधिक काम करते हैं


आईएलओ के आंकड़ों से पता चलता है कि युवा कर्मचारी अपने वरिष्ठ सहयोगियों की तुलना में अधिक घंटे काम करते हैं। 20 की उम्र तक, भारतीय कर्मचारी सप्ताह में लगभग 58 घंटे काम करते हैं। 30 के मध्य तक वे लगभग 57 घंटे काम करते हैं। एकमात्र महत्वपूर्ण गिरावट तब आती है जब औसत कर्मचारी 50 के मध्य तक पहुंच जाता है, जब वे 53 घंटे काम करते हैं। लेकिन यह अभी भी 48 घंटे के इंटरनेशनल लेबर मेंडेट से अधिक है।

जीडीपी में कितना योगदान है?


भारत में काम का हर घंटा जीडीपी में $8 कायोगदान देता है। लंबे समय तक काम करने से तभी पैसा कमाया जा सकता है जब लोग उत्पादक हो सकते हैं। लंबे समय तक काम करने से उत्पादकता भी कम होती है। भारत की $8 से कम श्रम उत्पादकता केवल छोटी, कम आय और निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर है। भारत भी एक निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था है, लेकिन इस आकार की अर्थव्यवस्था के लिए $8 प्रति घंटा काफी कम है। वियतनाम में यह $9.8 प्रति घंटा, फिलीपींस $10.5 और इंडोनेशिया $13.5 है। चीन में यह $15.4 है, जो उच्च आय वाले देशों की तुलना में कहीं भी नहीं है।

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