( संजय रायजादा )
लोकतंत्र में सरकार के मंत्री का कद सबसे बड़ा होने के बावजूद मध्यप्रदेश के लोक निर्माण विभाग में अल्पसंख्यक वर्ग के प्रमोटी आईएएस नियाज़ अहमद खान खुद को विभागीय मंत्री राकेश सिंह से बड़ा साबित करने में जुटे हैं। मजेदार बात तो यह है कि उपसचिव खान पीडब्ल्यूडी से रिटायर हो चुके अल्पसंख्यक वर्ग के ही जिस दागी इंजीनियर नईम सिद्दीकी से भाईचारा निभाने के फेर में अपने विभागीय मंत्री को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं उस पर इन दिनों भोपाल जिला अदालत में रिश्वत लेते रंगे हाथो पकड़े जाने का मुकदमा चल रहा है।
दरअसल सनातन धर्म को लेकर कुछ सकारात्मक किताबें लिखने वाले प्रमोटी आईएएस नियाज़ अहमद खान की कानूनी क्षेत्र में प्रशासनिक क्षमता काफी कमजोर है। इसके चलते वे लोक निर्माण विभाग में उपसचिव का दायित्व संभालने के बावजूद विभिन्न अदालतों , लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में चल रहे सैकड़ों मामलों में अपने अधीनस्थों पर निर्भर हैं और वांछित परिणाम नहीं दे पा रहे हैं। नतीजन ऐसे मामलों की संख्या कम होने की बजाय बढ़कर करीब 400 कानूनी मसलों तक पहुंच गई है ।
इस नाकाबिलियत के चलते उन्होंने पूर्व में विभाग में कानूनी मामले देखने वाले अपने धर्म भाई रिटायर दागी इंजीनियर नईम सिद्दिकी की अप्रत्यक्ष सेवा लेना शुरू कर दी । जिन्हें किसी कानूनी शिक्षा के बिना ही उलझे हुए मामलों को मांग पूर्ति के आधार पर सुलझाने और पहले से ज्यादा उलझाने में महारत हासिल है।
इस निशुल्क सेवा से दोनों का भाईचारा इतना बढ़ गया कि उन्होंने पिछले महीने दागी सिद्दीकी को किसी तरह की नियुक्ति दिए बिना मंत्रालय में ना केवल कक्ष आवंटित कर दिया था बल्कि विभाग की एक महत्वपूर्ण इकाई के मुखिया पर उन्हें 50 हजार रुपए प्रतिमाह देने की जबरिया जिम्मेदारी भी थोप दी ।
विभागीय मंत्री राकेश सिंह द्वारा विभिन्न आरोपों में घिरे दर्जन भर अधिकारियों को हाल ही मै महत्वपूर्ण पदों से हटाने के बावजूद लीगल एडवाइजर के रूप में इस दागी रिश्वतखोरी के आरोपी की पिछले दरवाजे से हुई एंट्री का मुद्दा हमारी न्यूज वेबसाइट एस आर पत्रिका ने जोर शोर से उठाया था । इसके चलते विभागीय मंत्री की नाराज़गी के कारण उपसचिव खान को दागी इंजीनियर सिद्दीकी की अवैध नियुक्ति रोकनी पड़ी बल्कि उससे मंत्रालय में आवंटित कक्ष भी खाली कराना पड़ा।
इसके बावजूद उपसचिव खान अपने स्वजातीय बंधु नईमुद्दीन सिद्दिकी की अप्रत्यक्ष सेवा लेने का मोह नहीं त्याग पाए। नतीजन अब उन्होंने इस दागी रिटायर इंजीनियर को अपने कक्ष में ही बैठाना शुरू कर दिया है । अब इस दागी रिटायर इंजीनियर की सलाह पर उपसचिव खान ने कानूनी पहलुओं से जुड़े मामलों की जिम्मेदारी अधीनस्थों से वापिस लेकर खुद देखने का निर्णय लिया है और इसके लिए 21 नवंबर को एक आदेश भी जारी कर दिया है।
यानि विभागीय मंत्री की इच्छा के विरुद्ध विभागीय कानूनी मसलों को बिना किसी नियुक्ति के दागी रिटायर इंजीनियर की मदद से उपसचिव खान सुलझाने की कोशिश करेंगे। इस दौरान सरकार की नाक के नीचे ही सरकारी नियमों को ठेंगा बताते हुए एक अशासकीय व्यक्ति को ना केवल सभी गोपनीय दस्तावेज दिखाए जाएंगे बल्कि उन पर उसकी सलाह लेकर अमल भी किया जाएगा।
सरकार के एक कद्दावर मंत्री की आंखों में धूल झोंककर अपनी काबिलियत साबित करने में जुटे प्रमोटी आईएएस अपने मकसद में कितने सफल हो पाएंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा। अब देखना यह है कि ईमानदार छवि के लोक निर्माण मंत्री हठधर्मिता और दुस्साहस कर रहे प्रमोटी अधिकारी की छुट्टी करते हैं या सरकार गठित होने का साल भर पूरा होने के पहले ही अफसरशाही हावी होने की अटकलें शुरू होने का श्रीगणेश करते हैं।