( संजय रायजादा )
मध्यप्रदेश का लोक निर्माण विभाग सरकार के सभी विभागों में सबसे अजब गजब विभाग है। इसमें पदस्थ प्रशासनिक अधिकारी विभागीय मंत्री की जानकारी में लाए बिना ऐसे ऐसे कारनामे कर रहे हैं जिनकी मिसाल मिलना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है।
ताज़ा मामला मंत्रालय में स्थित लोक निर्माण विभाग के प्रशासनिक कार्यालय में सामान्य प्रशासन विभाग से डेपूटेशन पर आए सहायक ग्रेड टू के कर्मचारी अमरेश गालर को एक सरकारी मकान आवंटित करने से जुड़ा है । नियमानुसार विभागीय कोटे का यह सरकारी आवास केवल विभाग के मूल कर्मचारियों अधिकारियों को ही आवंटित हो सकता है।
भोपाल के शिवाजी नगर में स्थित F 120 / 25 नंबर का यह सरकारी आवास अभी सिवनी स्थानांतरित हो चुकी एसडीओ पूनम तुरकर के अधिपत्य में है। उन्होंने अपनी वृद्ध माता का स्वास्थ्य खराब होने की वजह से अफसरों से कुछ समय के लिए विभागीय कोटे में मिले इस मकान को अपने पास रखने की अनुमति ले रखी है।
सरकार का भी नियम है कि माता पिता के बीमार होने , बच्चों के पढ़ने , परीक्षा जारी होने जैसी विशेष परिस्थितियों में स्थानांतरण के बाद भी अधिकारी कर्मचारी एक निश्चित समय के लिए सरकारी आवास को खाली करने से बच सकता है। इसी आधार पर महिला एसडीओ पूनम तुरकर को यह सरकारी आवास अपने पास रखने की रियायत मिली है जिसकी अवधि अभी पूरी नहीं हुई है।
इसके बावजूद मंत्रालय में बैठे आला अधिकारियों ने नियमों के विरुद्ध इस मकान को सामान्य प्रशासन विभाग से डेपूटेशन पर पदस्थ सहायक ग्रेड दो के कर्मचारी अमरेश
गालर को आवंटित कर दिया है। सरकार के सभी विभागों में किसी अन्य विभाग से आए अधिकारी कर्मचारी को विभागीय कोटे के सरकारी आवास आवंटित नहीं किए जाते हैं बल्कि उन्हें संपदा संचालनालय द्वारा सरकारी मकान आवंटित किया जाता है।
किसी दूसरे विभाग से आए एक सामान्य कर्मचारी पर अवैध कृपा बरसाने वाले मंत्रालय के प्रशासनिक अधिकारी अब विभाग के इंजीनियरों पर इस आवास को महिला एसडीओ से खाली कराने के लिए दवाब बना रहे हैं। अमरेश गालर उच्चाधिकारियों के जरिए उन्हें सरकारी आवास खाली करने के लिए बार बार नोटिस दिलवा कर मानसिक रूप से भी प्रताड़ित करवा रहा है।
अमरेश गालर की लोक निर्माण विभाग में तीन साल के लिए की पदस्थापना का कार्यकाल साल भर पहले पूरा हो गया था लेकिन उसने जोड़-तोड़ करके अपना कार्यकाल बढ़वा लिया था।
विभाग के इंजीनियरों से संबंधित शिकायतों का कामकाज देखने वाले अमरेश गालर पर लेन-देन करके अपने स्तर पर गंभीर शिकायतें गायब कर देने के आरोप कई बार लग चुके हैं। उस पर इंजीनियरों से मिलीभगत करके उनकी वरिष्ठता सूची में हेरफेर करने के गंभीर आरोप भी लगे हैं। इसके बावजूद वह मंत्रालय में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों को अपने मोहजाल में फंसाकर उल्टे सीधे गैर वाजिब कारनामे कर रहा है।
गौरतलब है कि ऐसे गजब की करामात दिखाने वाले मंत्रालय के विभागीय प्रशासनिक अधिकारी हाल ही में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह की मंशा के विपरित और उनकी जानकारी में लाए बिना लोकायुक्त द्वारा रिश्वत लेते पकड़े गए रिटायर एक्जीक्यूटिव इंजीनियर नईमुद्दीन सिद्दिकी को बिना किसी नियुक्ति के पिछले दरवाजे से मंत्रालय में अवैध रूप से पदस्थ करने का करिश्मा भी दिखा चुके हैं।
वह भी तब जब एक लंबे अरसे के बाद राकेश सिंह जैसी उजली छवि का मंत्री विभाग को मिला है जिन्होंने दो महिने पहले ही भ्रष्टाचार कम करने के लिए दर्जन भर दागी इंजीनियरों को महत्वपूर्ण पदों से हटाकर लूप लाइन में डाल दिया है। अमरेश गालर की शिकायत अब मंत्री तक पहुंचाई जा रही है ताकि उसकी बेलगाम हरकतों पर लगाम लगाई जा सके।