दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक कुतुब मीनार परिसर पर मालिकाना हक जताने वाले तोमर राजा के वंशज कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है।
अब कोर्ट 17 सितंबर शाम 4 बजे फैसला सुनाएगी। इस मामले में आईए के माध्यम से ध्वज प्रताप सिंह ने आगरा के संयुक्त प्रांत के उत्तराधिकारी होने का दावा किया और कहा था कि कुतुब मीनार की संपत्ति उनके पास है इसलिए कुव्वत–उल–इस्लाम मस्जिद के साथ मीनार उन्हें दी जानी चाहिए।
साकेत स्थित अतिरिक्त जिला न्यायाधीश दिनेश कुमार की अदालत में इस मामले की सुनवाई चल रही है। दरअसल याचिकाकर्ता कुंवर महेंद्र धवज प्रसाद सिंह ने एक शाही परिवार का वंशज होने का दावा करते हुए याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि दक्षिण दिल्ली के तहत क्षेत्र पर उनके पास कानूनी अधिकार हैं। वह कुतुब मीनार मामले में सुनवाई चाहता है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का प्रतिनिधित्व करने वाले डॉ सुभाष सी गुप्ता ने तर्क दिया कि सिंह ने स्वतंत्रता के बाद से किसी भी अदालत के समक्ष स्वामित्व का मुद्दा नहीं उठाया था। इसलिए उनका दावा देरी के सिद्धांत के तहत समाप्त हो गया है। एएसआई ने अदालत से कहा कि आवेदन का कोई आधार नहीं है। यह सिर्फ प्रचार का पैंतरा है। इसलिए इस याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए। इसने अदालत का समय बर्बाद किया है।
याचिकाकर्ता बोला, 60 साल से सरकार से मांग रहे अपनी जमीन
अदालत में मौजूद याचिकाकर्ता सिंह ने अपने मामले को अदालत के समक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने अपनी संपत्ति हासिल करने के लिए सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, जो अभी लंबित है। उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि वह इस मामले में सुनवाई के अलावा ऐसी कोई राहत नहीं मांग रहे हैं। सिंह का दावा है कि वह 78 साल के हैं और 60 साल से सरकार से अपनी जमीन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने संबंधित संपति पर राजा होने का अधिकार नहीं खोया है।
सिंह का दावा है कि उनकी जमीन पर 17 सौ अवैध कालोनी बन गई हैं। ये कालोनियां सरकार द्वारा लोगों को अतिक्रमण की छूट दिए जाने के कारण बनी हैं। एक आम आदमी के लिए दीवानी अदालत में राहत की मांग करना संभव नहीं है। इसलिए उन्होंने अपने भाग्य का फैसला करने एवं मुआवजे का भुगतान प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति से संपर्क किया है।