नई दिल्ली: चीन से भारत आने वाले निवेश से जुड़े नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अभी अप्रैल 2020 वाली पॉलिसी ही चल रही है। इसके मुताबिक भारत के पड़ोसी देशों से FDI तभी आ सकता है, जब भारत सरकार इसकी इजाजत दे। यह जानकारी देते हुए डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) के सेक्रेटरी अमरदीप सिंह भाटिया ने बुधवार को कहा कि आने वाले वर्षों में देश में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट सालाना 100 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है, जो अभी 70-80 अरब डॉलर के आसपास है।
मेक इन इंडिया अभियान की 10 वर्षों की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए भाटिया ने चीन से आ रहे निवेश से जुड़े सवाल पर कहा, ‘प्रेस नोट 3 में इनवेस्टमेंट की जो पॉलिसी तय की गई थी, वही चल रही है। फिलहाल इसमें कोई बदलाव नहीं है।’ यह पॉलिसी अप्रैल 2020 में बनाई गई थी। इसके मुताबिक, भारत से जिन देशों की सीमा लगी हुई है, उन सभी देशों से FDI तभी आ सकता है, जब भारत सरकार उसकी इजाजत दे।
मैन्युफैक्चरिंग पर जोर
इससे पहले इकनॉमिक सर्वे में कहा गया था कि चीन से तमाम चीजें आयात करने के बजाय चीनी कंपनियों को भारत में निवेश कर यहीं पर मैन्युफैक्चरिंग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। 2014-24 के बीच देश में कुल FDI इससे पहले के 10 वर्षों के मुकाबले 119% बढ़कर 667.4 अरब डॉलर होने की जानकारी देते हुए भाटिया ने कहा कि भारत के प्रति विदेशी निवेशकों में बहुत आकर्षण दिख रहा है। उन्होंने कहा कि अभी 70-80 अरब डॉलर सालाना के FDI को आने वाले समय में 100 अरब डॉलर पर ले जाने का लक्ष्य रखकर काम किया जा रहा है।