चेन्नई के एक स्कूल पर लड़कियों का धर्मांतरण कराने के आरोप लगे हैं। यह स्कूल चर्च ऑफ साउथ इंडिया (CSI) की ओर से चलाया जा रहा है। तमिलनाडु सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम का गठन किया था। इन टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। राज्य सरकार ने यह जानकारी नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) को देने का फैसला किया है।
दरअसल, NCPCR ने कुछ समय पहले CSI मोनाहन स्कूल गर्ल्स हॉस्टल से सभी लड़कियों को बाहर निकालने का आदेश दिया था। धर्मांतरण के आरोपों को देखते हुए यह सख्त ऑर्डर जारी किया गया। अब तमिलनाडु सरकार NCPCR को जांच रिपोर्ट के जरिए बताना चाहती है कि इस मामले में उसे गुमराह किया गया है। स्कूल पर धर्मांतरण के लगे आरोप पूरी तरह से गलत हैं।
24 घंटे में लड़कियों को रेस्क्यू करने का था ऑर्डर
9 सितंबर को पत्र में एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने इस मामले
में तमिलनाडु के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को अहम निर्देश
दिए थे। इसमें कहा गया कि 'लड़कियों को 24 घंटे के भीतर सीसीआई (चाइल्ड
केयर इंस्टीट्यूशन) से रेस्क्यू किया जाए और उन्हें चाइल्ड वेलफेयर कमेटी
के सामने पेश किया जाए। किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के
अनुसार उनके बयानों की रिकॉर्डिंग की जाएगी और उनकी प्रॉपर कॉउन्सलिंग
होगी।'
हॉस्टल में 54 में से 41 लड़कियां मिली प्रेजेंट
जांच अधिकारी जब सरप्राइज विजिट पर हॉस्टल पहुंचे तो उन्हें वहां 54 में से
41 लड़कियां प्रेजेंट मिलीं। इनमें से ज्यादातर लड़कियां आर्थिक रूप से
कमजोर हैं और लोवर मिडल-क्लास बैकग्राउंड से आती हैं। उनके पिता उन्हें
हास्टल में रहने के लिए हर महीने 3 हजार रुपये की फीस भरते हैं। एक अधिकारी
ने कहा, 'इनमें से सभी ईसाई छात्राएं हैं। हम NCPCR को यह बताएंगे कि
उन्हें गलत जानकारी दी गई है। यहां पर किसी भी तरह का धर्मांतरण नहीं हुआ
है।'