कांग्रेस ने 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (पूजा स्थल कानून) को चुनौती देने वाली याचिकाओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के माध्यम से दायर याचिका में पार्टी ने कहा- यह कानून 1991 में हमारे घोषणा पत्र में था। सेक्युलरिज्म की रक्षा के लिए ये जरूरी है।
इससे पहले 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की पूजा स्थल कानून से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया था। ओवैसी ने याचिका में 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (पूजा स्थल कानून) को लागू करने की मांग की है।
कानून के मुताबिक, 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता।
कांग्रेस और ओवैसी की नई याचिकाओं को इस मामले पर लंबित अन्य 6 मामलों के साथ जोड़ा गया है। इन सभी पर 17 फरवरी को सुनवाई होगी।
केस से जुड़ी 6 याचिकाओं पर 12 दिसंबर को हुई थी आखिरी बार सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की 3 मेंबर वाली बेंच ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (विशेष प्रावधानों) 1991 की कुछ धाराओं की वैधता पर दाखिल याचिकाओं पर 12 दिसंबर को सुनवाई की थी।
बेंच ने कहा था, "हम इस कानून के दायरे, उसकी शक्तियों और ढांचे को जांच रहे हैं। ऐसे में यही उचित होगा कि बाकी सभी अदालतें अपने हाथ रोक लें।"
सुनवाई के दौरान CJI संजीव खन्ना ने कहा- हमारे सामने 2 मामले हैं, मथुरा की शाही ईदगाह और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद। तभी अदालत को बताया गया कि देश में ऐसे 18 से ज्यादा मामले लंबित हैं। इनमें से 10 मस्जिदों से जुड़े हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से याचिकाओं पर 4 हफ्ते में अपना पक्ष रखने को कहा।
CJI संजीव खन्ना ने कहा- जब तक केंद्र जवाब नहीं दाखिल करता है हम सुनवाई नहीं कर सकते। हमारे अगले आदेश तक ऐसा कोई नया केस दाखिल ना किया जाए।