अमेरिका की प्राइवेट कंपनी इंट्यूएटिव मशीन्स का एथेना लैंडर गुरुवार को चांद के साउथ पोलर रीजन में उतरा। हालांकि, लैंडिंग के कुछ मिनट बाद से मिशन कंट्रोलर उसकी स्थिति की पुष्टि नहीं कर पा रहे हैं। अब तक यह भी पता नहीं चल पाया है कि लैंडर सीधा सतह पर खड़ा है या नहीं।
मिशन कंट्रोलर को लैंडिंग की पुष्टि करने में भी समय लगा। मिशन डायरेक्टर और कंपनी के को-फाउंडर टिम क्रेन ने कहा- ऐसा लगता है कि हम चंद्रमा पर उतर गए हैं। अब यह जांच रहे हैं कि लैंडर की सतह पर स्थिति क्या है।
मिशन ऑफिशियल्स के मुताबिक, चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद लैंडर मिशन कंट्रोलर के संपर्क में था। सोलर पावर भी जनरेट कर रहा था। हालांकि, लैंडिंग के करीब आधे घंटे बाद भी मिशन टीम यह पुष्टि नहीं कर पाई कि लैंडर सही स्थिति में है या नहीं।
इस बीच, नासा (NASA) और इंट्यूएटिव मशीन्स ने लाइव लैंडिंग टेलीकास्ट अचानक बंद कर दिया। कहा कि दोपहर बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपडेट दिया जाएगा। इंट्यूएटिव मशीन्स ने एक साल पहले भी चंद्रमा पर एक स्पेसक्राफ्ट लैंड करवाया था। उस समय भी लैंडर का पैर टूट गया था, जिससे वह पलट गया था।
एथेना लैंडर बुधवार देर रात लॉन्च हुआ था
इंट्यूएटिव मशीन्स का दूसरा एथेना लैंडर IM-2 बुधवार देर रात (भारतीय समयानुसार गुरुवार सुबह 5:45 बजे) इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया गया था। रॉकेट को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। इस लैंडर में एक ड्रोन भी मौजूद है।
एथेना IM-2 मून लैंडर मिशन का मकसद
IM-2 का एक मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से जुड़ी नई जानकारी इकट्ठा करना है। लैंडर पर मौजूद रोवर में एक ड्रिल मशीन लगी है। यह करीब 10 ड्रिल करेगी। एक बार की ड्रिलिंग में करीब 10 सेंटीमीटर खुदाई होगी। यानी कुल एक मीटर गहराई तक मशीन जाएगी और जमीन के अंदर से सैंपल कलेक्ट करेगी। चंद्रमा की सतह के एक मीटर नीचे तक जांच करने के लिए NASA के ट्राइडेंट ड्रिल और MSolo मास स्पेक्ट्रोमीटर की तैनाती है। इससे चंद्रमा पर पानी और CO₂ जैसी चीजों को डिटेक्ट किया जा सकता है।
एथेना लैंडर से जुड़ी खास जानकारी
इंट्यूएटिव मशीन्स का छह पैरों वाला एथेना लैंडर लगभग जिराफ जितना लंबा है। यह 6 मार्च को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 100 मील (160 किमी) दूर एक सपाट चोटी वाले पहाड़ मॉन्स माउटन पर उतरने वाला था।
एथेना की लैंडिंग के बाद रोवर्स और माइक्रो नोवा हॉपर (ग्रेस) को तैनात किया जाएगा। ग्रेस हॉपर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह लैंडर से दो किलोमीटर तक की दूरी की यात्रा उड़कर पूरी कर सकता है। इसे इंट्यूशिव मशींस (IM) नाम की कंपनी ने बनाया है। मून लैंडर का नाम भी इसी पर रखा गया है।
लैंडर पर एक छोटा रोबोट माइक्रो नोवा हॉपर है, जिसे ग्रेस नाम दिया गया है। इसके अलावा चार पहियों वाला माइक्रोवेव आकार का एक रोवर भी है, जो चांद की सतह पर डेटा कलेक्ट करेगा।