भोपाल। डायबिटीज (मधुमेह) पर आयुर्वेदिक औषधियों और पंचकर्म का प्रभाव जानने के लिए एक बड़ा शोध भोपाल के पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद कॉलेज में चल रहा है। यहां 1050 रोगियों पर किए जा रहे शोध के प्रारंभिक परिणाम उत्साहित करने वाले हैं।डॉक्टरों ने बताया कि जिन रोगियों का एचबीए1सी स्तर (वैल्यू) 13 यानी तीन महीने का औसत शुगर लेवल 350 के करीब था उन्हें पंचकर्म की वस्ति क्रिया (दस्त करवाने) के बाद औषधियां देने से कुछ मरीजों का एक सप्ताह तो कुछ का 15 दिन में ही शुगर लेवल 200 तक आ गया।
शोध टीम में शामिल काय चिकित्सा के सहायक प्राध्यापक डॉ. विवेक शर्मा बताते हैं कि 1050 रोगियों को औचक (रैंडम) आधार पर बराबर संख्या वाले तीन समूहों में बांटा गया है। एक समूह को पंचकर्म के साथ औषधियां, दूसरे को मात्र औषधियां और तीसरे को सिर्फ खान-पान व जीवन शैली में परिवर्तन करवाया गया है।
तीन महीने तक उन पर प्रयोग किया जाना है, हालांकि प्रारंभिक परिणामों में अधिकतर रोगियों की शुगर नियंत्रित मिल रही है। इनमें किसी को एलोपैथी दवाएं नहीं दी जा रही हैं।
पंचकर्म विभाग की सह प्राध्यापक डॉ. कामिनी सोनी ने बताया कि आयुष मंत्रालय के दिशानिर्देश के अनुसार जिन रोगियों का एचबीए1सी 10 से कम है उन्हें ही शोध में शामिल किया है, जिससे स्वास्थ्य को लेकर कोई जोखिम न हो।
अभी एक माह में अलग-अलग समय में अस्पताल में भर्ती हुए 10 रोगियों को पंचकर्म और दवा देने के बाद देखने में आया है कि आठ का एचबीए1सी स्तर काफी सुधरा हुआ मिला। औसत रूप से मानें तो इसका स्तर 10 से घटकर छह के आसपास आ गया।
इसके पहले भर्ती हुए रोगियों में परिणाम भी लगभग ऐसे ही थे। अपवादस्वरूप कुछ रोगी तो ऐसे भी थे जिनका एचबीए1सी 13 था। पंचकर्म के बाद औषधियां देने से यह छह से सात के बीच आ गया है। बता दें, एचबीए1सी जांच रक्त में शुगर का तीन महीने का औसत स्तर बताती है।