रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में आवेदिका द्वारा शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण करने व शादी से इंकार कर आवेदिका को बर्बाद करने की धमकी दिये जाने के संबंध में एक आवेदन प्रस्तुत हुआ था, जिसको पंजीबध्द करके आयोग ने सिर्फ तीन ही सुनवाई में सुलहनामा करवाया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने अनावेदक (शासकीय शिक्षक) से आवेदिका को उसके साथ हुए प्रताड़ना के एवज में क्षतिपूर्ति, भरण-पोषण देने के लिए कहा. जिसमें अनावेदक ने सहमति जताते हुए आवेदिका को 10 लाख रू. नगद एवं 10 लाख रू. क्षतिपूर्ति राशि चेक के द्वारा दिया। आयोग द्वारा किसी भी प्रताड़ित महिला को अबतक का सबसे बड़ा क्षतिपूर्ति राशि 20 लाख रू. दिलाया गया। उभय पक्षों ने सुलह का इकरारनामा बनाकर आयोग में प्रस्तुत किया, कि भविष्य में आवेदिका को परेशान नहीं करने का भी उल्लेख हैं।
आयोग में एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने भतीजे और बैंक मैनेजर द्वारा झूठे दस्तावेज प्रस्तुत कर उसके नाम के जमीन को बैंक में गिरवी रखकर 10 लाख रू. का लोन निकालने का था। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक द्वारा फर्जी तरीके से उसके जगह पर दूसरी महिला का फोटो लगाकर तत्कालीन बैंक मैनेजर के साथ साठ-गाठ कर बिना किसी वेरीफिकेशन के 10 लाख रू. लोन निकाला था, जिसमें आयोग द्वारा महज दो सुनवाई में मामले की लगभग पूरा निराकरण किया है। आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक द्वारा वर्तमान बैंक मैनेजर को बैंक के मुख्य अधिकारी से इस मामले में जांच-पड़ताल कर कार्यवाही करते हुए बैंक द्वारा तत्कालीन बैंक मैनेजर के खिलाफ एफ. आई. आर दर्ज कराने का निर्देश दिया गया था। जिसमें तत्कालीन बैंक मैनेजर तथा आवेदिका के भतीजे (अनावेदक) और इस गिरोह का एक अन्य व्यक्ति जो लोन लेने के समय में गारंटर बना था, इन तीनों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। पुलिस इस मामले में आगे और जांच-पड़ताल कर रही है, जिससे पता चलता है कि यह फर्जीवाड़ा सिर्फ एक नहीं है यह आरोपी लगातार कई वर्षों से लोगो को ठग रहे है। महिला आयोग से आवेदिका ने दो चीजों की मांग की थी कि आरोपियों को कड़ी सजा मिले और आवेदिका का 15 एकड़ जमीन जो बैंक के पास बंधक है वह आवेदिका को वापस किया जाये। आयोग द्वारा बैंक के अधिकारियों को पत्र भेजकर निर्देशित किया जाएगा कि आवेदिका की जमीन को जल्द से जल्द बंधनमुक्त कर दिया जाए।