न्यास के डॉ. सुदेश वाघमारे, सर्वश्री नीरज वर्मा, कार्तिक सप्रे, लालाराम चक्रवर्ती, करण सिंह कौशिक, नीलेश कटारे, प्रदीप त्रिपाठी, श्याम कुमार श्रीवास, आशुतोष मालवीय, साहब सिंह लोधी, वेद नीरज अस्थाना, राकेश कुमार उइके, केशव दास मानिकपुरी, दीपक सिंह बैंस, मनोज जोशी, डॉ. गजेंद्र गुप्ता, राघव उपाध्याय, विवेक पाटीदार, शैलेंद्र कुमार उपाध्याय, सराजल पाटीदार सहित अन्य सदस्य सम्मिलित हुए। पौध-रोपण में सुश्री रेखा चौहान, सर्वश्री दीपक कुमार गौर, सुमित, महेश धाकड़, अनिल गौर, राजेश जादम, डॉ. वीरेंद्र मालवीय, महेंद्र पटेल, नवीन बोडके, दीप सिंह यादव और राठौर ने भी भाग लिया।
न्यास द्वारा औषधीय पौधों की पहचान, संरक्षण-संवर्धन और इन पौधों की गृह वाटिका तैयार करने 2 सितंबर से 4 सितंबर तक कार्यशाला की गई है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सहयोग से यह कार्यशाला जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान (वाल्मी) भोपाल में हुई। कार्यशाला में विभिन्न विद्यालय, महाविद्यालय, ग्राम विकास समिति के सदस्य, औषधीय पौधों में रूचि रखने वाली संस्थाओं के सदस्य तथा पंचायत और नगरीय निकायों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इसमें अधिकतर प्रतिभागी नर्मदा जल ग्रहण क्षेत्र से हैं।
पौधों का महत्व
पीपल छायादार और पर्यावरण शुद्ध करने वाला वृक्ष है। इसका धार्मिक और
आयुर्वेदिक महत्व भी है। मौलश्री एक औषधीय वृक्ष है, इसका सदियों से
आयुर्वेद में उपयोग होता आ रहा है। गूलर के फल अंजीर की तरह होते हैं। इसको
आयुर्वेद की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है।