बीआरपीएल ने रेलवे से कहा है कि वह इस परियोजना को अपने हाथ में ले ले। इन चारों कंपनियों के बीच जनवरी 2016 में शेयर होल्डिंग एग्रीमेंट हुआ था। इसके अनुसार एनएमडीसी की हिस्सेदारी 43 प्रतिशत, सेल की 21 प्रतिशत, इरकान की 26 प्रतिशत और सीएमडीसी छत्तीसगढ़ शासन की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत रखी गई थी। मई 2016 में बीआरपीएल का छत्तीसगढ़ में पंजीयन कराया गया। शुरू में तो कुछ काम हुआ परंतु डेढ़ वर्ष के बाद ही बीआरपीएल में शामिल चारों कंपनियों में विवाद बढ़ता गया। इसकी शुरुआत सेल ने की। 2018 में सेल ने बीआरपीएल से अलग होने की इच्छा व्यक्त की। कहा कि भिलाई स्टील प्लांट के लिए दल्ली राजहरा से रावघाट तक सेल अकेले रेलमार्ग बिछा रहा है।
राज्य सरकार की पहल पर केंद्रीय इस्पात मंत्रालय ने इस मामले में दखल दिया। चारों कंपनियों की दिल्ली में बैठक बुलाकर सुलह कराई गई। 21 की जगह 12 प्रतिशत हिस्सेदारी पर सेल बीआरपीएल में बने रहने को तैयार हुआ। सेल ने जो नौ प्रतिशत हिस्सा छोड़ा उसे एनएमडीसी को लेना पड़ा। इसके बाद बीआरपीएल में एनएमडीसी की हिस्सेदारी 43 से बढ़कर 52 प्रतिशत हो गई। इसके बाद दोबारा शेयर होल्डिंग एग्रीमेंट किया गया। दावा किया गया कि अब सब ठीक है।