छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू का संक्रमण जानलेवा होता दिख रहा है। यहां लगातार दूसरे दिन भी स्वाइन फ्लू की वजह से एक मरीज की मौत की खबर है। मरीज ने रायपुर एम्स में इलाज के दौरान दम तोड़ा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पिछले डेढ़ महीनों में यह स्वाइन फ्लू से पीड़ित की 6वीं मौत है। हालांकि डेथ ऑडिट कमेटी ने मौतों के लिए स्वाइन फ्लू की वजह की पुष्टि नहीं की है।
बताया गया, राजनांदगांव जिले से 72 साल के एक मरीज को कुछ दिनों पहले एम्स में भर्ती कराया गया था। शुगर की वजह से उनके एक पैर में गैंग्रीन हो गया था। सांस लेने में भी दिक्कत थी। जांच के बाद उनमें स्वाइन फ्लू संक्रमण की पुष्टि हुई। तब से उनका इलाज जारी था। बीमारी की जटिलताओं की वजह से उनकी मौत हो गई।
स्वास्थ्य विभाग ने इसे कोमॉर्बिडिटी के साथ हुई मौत के रूप में दर्ज किया है। मतलब मरीज को स्वाइन फ्लू के साथ दूसरी गंभीर बीमारियां भी थीं। सोमवार देर रात भी स्वाइन फ्लू से पीड़ित एक महिला मरीज की जान चली गई थी। महामारी नियंत्रण विभाग के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, इस मौत के साथ स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीजों की मृत्यु संख्या 6 तक पहुंच गई है।
हालांकि डेथ ऑडिट कमेटी ने अभी यह पुष्ट नहीं किया है कि ये मौतें स्वाइन फ्लू की वजह से ही हुई हैं। उन्होंने कहा, ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही मौतों को स्वाइन फ्लू से हुई मौत के रूप में दर्ज किया जाएगा।
रायपुर बना स्वाइन फ्लू का हॉटस्पाट
राजधानी रायपुर स्वाइन फ्लू संक्रमण का हॉटस्पाट बनकर उभरा है। प्रदेश में 16 जुलाई के बाद से अब तक 128 मरीज सामने आ चुके। इसमें से 67 मरीज अकेले रायपुर के ही हैं। प्रदेश के अलावा ओडिशा से आए मरीजों की इलाज भी रायपुर के ही अस्पतालों में हो रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक रायपुर के गुढियारी और चंगोराभाठा इलाके से सर्वाधिक मरीज आए हैं। इसकी वजह से इन इलाकों को अधिक संवेदनशील माना जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी प्रदेश भर में 61 मरीजों का इलाज चल रहा है।
संक्रमण से बचाव के लिए यह करना होगा
छत्तीसगढ़ में महामारी नियंत्रण विभाग के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा का कहना है, स्वाइन फ्लू संक्रमण से बचाव का सबसे बेहतर उपाय शारीरिक दूरी ही है। भीड़-भाड़ से परहेज करें। सार्वजनिक जगहों पर फेस मास्क लगाएं। हाथों को साबुन पानी अथवा सैनिटाइजर से धोते रहें। सर्दी-जुकाम की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क कर संक्रमण की संभावना को टाला जा सकता है।
क्या है यह स्वाइन फ्लू
डॉक्टरों ने बताया, स्वाइन फ्लू या H1 N1 इंफ्लूएंजा भी सामान्य इंफ्लूएंजा यानी सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों वाला ही होता है। अंतर यह है कि सामान्य सर्दी-जुकाम अधिकतम तीन दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन स्वाइन फ्लू में यह कई दिनों तक चलता है। इससे श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचता है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और दिल, किडनी, फेफड़े, रक्तचाप, कैंसर आदि की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह फ्लू घातक हो सकता है।
यह लक्षण दिखें तो नजरअंदाज न करें
डॉक्टरों का कहना है, स्वाइन फ्लू एक इंफ्लुएंजा वायरस की वजह से होता है जो सूअरों में पाया जाता है। तीन दिनों से अधिक समय तक 101 डिग्री से अधिक बुखार रह रहा हो, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, नाक से पानी आ रहा हो या फिर नाक पूरी तरह बंद हो गई हो, थकान, भूख में कमी और उल्टी जैसे लक्षण स्वाइन फ्लू हो सकते हैं। अगर ऐसे लक्षण दिखें तो इसे नजर अंदाज न करें। तुरंत अस्पताल पहुंचकर जांच कराएं।