सुप्रीम कोर्ट ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को जमानत देते हुए कहा कि सभी को विचार अभिव्यक्ति का अधिकार मिला हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से सवाल किया कि हाथरस की रेप और हत्या की पीड़ित लड़की के लिए न्याय मांगना कैसे अपराध हो गया। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुआई वाली बेंच यूपी सरकार के उस जवाब से संतुष्ट नहीं हुई, जिसमें कहा गया था कि कप्पन के पास मिले साहित्य उत्तेजना फैलाने वाले थे। जब कोर्ट ने सवाल किया तो बताया गया कि साहित्य हाथरस की लड़की के लिए न्याय मांगने से संबंधित था। सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को देखने के बाद कहा कि हर शख्स को विचार अभिव्यक्ति का अधिकार मिला हुआ है। कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि 'हाथरस की पीड़िता के लिए न्याय चाहिए' जैसे विचार को प्रसारित करना कैसे कानून की नजर में अपराध है। इस दौरान जस्टिस एस रवींद्र भट्ट ने निर्भया केस का उदाहरण दिया और कहा कि 2012 में निर्भया रेप केस हुआ था और दिल्ली में इंडिया गेट पर निर्भया को न्याय दिलाने के लिए जबर्दस्त प्रदर्शन हुआ था। उसके बाद कानून बदल गया था।
भट्ट ने उस घटना की याद दिलाते हुए कहा कि जब निर्भया केस हुआ था तो दिल्ली की जनता इंडिया गेट पर आ गई थी और न्याय के लिए प्रदर्शन हुआ था। कानून में बदलाव के लिए आवाज उठाई गई और फिर कानून में बदलाव हुआ था। कई बार सिस्टम की कमी को उजागर करने के लिए ऐसा करना सही भी होता है। मौजूदा मामले में जो लिटरेचर है, उसमें कुछ भी उत्तेजना फैलाने वाला नहीं दिख रहा है।