डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने की एक बड़ी वजह यूएस फेड के द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाया जाना है। बुधवार को यूएस फेड ने मंहगाई को नियंत्रित करने के 0.75 बेसिस प्वाइंट ब्याज दर बढ़ाया था। इससे पहले जुलाई में भी यूएस फेड के द्वारा ब्याज दरों में इजाफा किया गया था। बता दें, रुपये की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए केंद्रीय बैंक ने जुलाई में 19 अरब डॉलर के रिजर्व को बेच दिया था। लेकिन स्थिति बहुत बेहतर नहीं हुई है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स को नाम ना छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने
बताया,“बाजार के बुनियादी अनुरूप कमजोर रुपया हमारे लिए चिंता का विषय नहीं
है।” अधिकारी के अनुसार,“भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी मददगार साबित
होगा। इससे इंपोर्ट घटेगा और एक्सपोर्ट बढ़ेंगा।” हालांकि, इस पूरे मसले पर
अभी वित्त मंत्रालय ने कोई कमेंट नहीं किया है।
इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.88 प्रतिशत चढ़कर 111.61 पर आ गया। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.49 प्रतिशत बढ़कर 90.27 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था। शेयर बाजार के अस्थाई आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बुधवार को शुद्ध रूप से 461.04 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।