रविवार को राधावल्लभीय सम्प्रदाय के राधा रानी मंदिर में राधारानी के दर्शनो के लिए श्रृदालु आतुर दिखाई दिये । मंदिर परिसर में गेट के वाहर भक्त दर्शनो की आस लिये बैठे थे और राधे राधे के जयकारे लगा रहे थे। राधारानी के भजनो पर अपने आप को थिरकने से नहीं रोक पाये । 12 बजे के वाद आखिरकार वो झण आया जव मंदिर के पट खोले गये ।
लम्बी कतारो के बीच भक्तो ने दर्शन किये और धर्मलाभ लिया। उल्लेखनीय है कि औरंगजेव जव हिन्दूस्थान के मंदिरो को ध्वस्त किया था वृन्दावन में स्थित मंदिरो में आक्रमण हुआ तो वल्लभीय सम्प्रदाय के पूर्वज मूर्ति लेकर पलायन करके और कई दिनो के सफर के वाद विदिशा पहुॅचे थे। यहा कालान्तर में जगह न होने कारण कुछ दिन प्रतिमाओं को खुले में रखा इसके वाद उन्हे हवेली में स्थापित कर दिया । उसके वाद से ही साल भर राधा रानी की गुप्त रूप से पूजा होती है और सिर्फ एक दिन के लिए भक्तो के लिए दर्शनो के लिए मंदिर के पट खोले जाते हैं । वहीं मंदिर के पुजारी मनमोहन शर्मा ने बताया कि देश में बरसाना के वाद विदिशा में राधारानी का प्राचीन मंदिर है ।
आज भी यह मंदिर में हवेली में बना हुआ है । 1670 में जव औरंगजेव ने आक्रमण किया था उसके वाद वृदांवन से राधारानी का दरवार लेकर यहा आये थे और तव से ही यहा गुप्त रूप से पूजा होती है और आज भी जन सामान्य को वर्ष में एक दिन राधा अष्टमी पर ही दर्शन कराये जाते हैं। प्राचीन स्थापन इसमें कोई फेर बदल नहीं हुआ है। राधाष्टमी और उसके दूसरे दिन पालना दर्शन के बाद संगीत का आयोजन होता है जिसमें राधारानी की बधाई गायन होता है। इसके बाद 5 सितंबर को शयन आरती के बाद मंदिर के पट पूरे साल भर के लिए बंद हो जाएंगे।..