इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित राजपथ को अब कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा। नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) की बैठक में बुधवार को इससे संबधित प्रस्ताव पर मुहर लगायी गयी। यह निर्णय आज परिषद की एक विशेष बैठक में लिया गया, जिसमें केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, अध्यक्ष बी एस भल्ला, उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय और अन्य शामिल थे।
प्रधानमंत्री कार्यालय की विज्ञप्ति में कहा गया है कि श्री मोदी इस अवसर पर इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का भी अनावरण करेंगे। यह कदम प्रधानमंत्री के 'पंच प्राण' में से एक की तर्ज पर है यानी 'औपनिवेशिक मानसिकता का कोई भी निशान मिटाएं।'
वर्षों से, राजपथ और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के आसपास के इलाकों में
आगंतुकों की बढ़ती भीड़ का दबाव देखा जा रहा था, जिससे इसके बुनियादी ढांचे
पर दबाव पड़ रहा था। इसमें सार्वजनिक शौचालय, पीने के पानी, स्ट्रीट
फर्नीचर और पार्किंग स्थल की पर्याप्त व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाओं का
अभाव था।
बयान में कहा गया है गणतंत्र दिवस परेड और अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों के
दौरान जनता की आवाजाही पर कम से कम प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता भी महसूस की
जा रही थी। इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इसका पुनर्विकास किया गया है
साथ ही इलाके के मुख्य वास्तु शिल्प का चरित्र बनाये रखा गया है और उसकी
अखंडता भी सुनिश्चित की गयी है।
बयान में कहा गया है कि कर्तव्य पथ बेहतर सार्वजनिक स्थानों और सुविधाओं को प्रदर्शित करेगा, जिसमें पैदल रास्ते के साथ लॉन, हरे-भरे स्थान, नवीनीकृत नहरें, मार्गों के पास लगे बेहतर बोर्ड, नई सुख-सुविधाओं वाले ब्लॉक और बिक्री स्टॉल होंगे। इसके अलावा इसमें पैदल यात्रियों के लिए नए अंडरपास, बेहतर पार्किंग स्थल, नए प्रदर्शनी पैनल और रात्रि के समय जलने वाली आधुनिक लाइटों से लोगों को बेहतर अनुभव होगा। इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, भारी वर्षा के कारण एकत्र जल का प्रबंधन, उपयोग किए गए पानी का पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन और ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था जैसी अनेक दीर्घकालिक सुविधाएँ शामिल हैं।
सेंट्रल विस्टा में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की जा रही है, जहां इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस (23 जनवरी) के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था। मुख्य मूर्तिकार श्री अरुण योगीराज द्वारा तैयार की गई 28 फुट ऊंची प्रतिमा को एक ग्रेनाइट पत्थर पर उकेरा गया है और इसका वजन 65 टन है।