( संजय रायजादा )
मध्य प्रदेश को स्वर्णिम राज्य बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग को सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है , लेकिन पैसों के लोभी इंजीनियरों की अंधेरगर्दी के चलते यह विभाग भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है।
इसकी सबसे बड़ी वजह अधिकारियों का नियमों के विपरित सालों से एक ही स्थान ( उसी पद ) पर निरंतर जमें रहना बताया गया है।इसमें भी सबसे ज्यादा गड़बड़झाला प्रभारी चीफ इंजीनियर्स की पोस्टिंग में है।
आमतौर पर विभाग में चीफ इंजीनियर यानि मुख्य अभियंता के पद पर एक स्थान पर दो साल के लिए नियुक्ति देने का नियम है। लेकिन मौजूदा समय में विभाग में नौ चीफ इंजीनियर ऐसे हैं जो ढाई साल से लेकर पांच साल से एक ही कुर्सी पर जमे हैं। अभी भी वे अपने मलाईदार पदों से हटने के लिए तैयार नहीं है ।इसके लिए उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर विभागीय मंत्री के दरबार तक अपनी बिसात बिछा रखी है।
लोक निर्माण विभाग में अदालती मामले के चलते वैसे तो पदोन्नति नहीं हो रही है जिसके चलते विभागीय कामकाज चलाने के लिए इंजीनियरों को पदोन्नति के बाद मिलने वाले आगामी पदों का अतिरिक्त प्रभार देकर महत्व पूर्ण काम सौंपे गए हैं।
मगर चीफ इंजीनियरों के मामले में प्रभार में समयावधि का कोई ध्यान सरकार में नहीं रखा जा रहा है। इसके साथ ही उन पर लगे कदाचरण के ऐसे गंभीर आरोपों को भी अनदेखा किया गया है जो उन्हें जेल यात्रा करवाकर सरकारी दामाद बना सकते हैं।
इन दागदार प्रभारी चीफ इंजीनियरों में सबसे पहला नाम लोक निर्माण मंत्री के गृहनगर जबलपुर में 2019 से पदस्थ एस.सी.वर्मा का है। जुगाड और पैसे के बल पर 6 साल से जमे वर्मा पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने का आरोप है जो कई स्तरों पर प्रमाणित हो चुका है। लेकिन ऊपर से कृपा बरसने के कारण 6 साल से वे जबलपुर संभाग की सबसे बड़ी कमाऊ कुर्सी पर जमे हैं। उनके प्रभाव और धन बल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 12 साल पहले आरक्षित वर्ग का कोटा पूरा करने के लिए उन्हें सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर के पद पर दी गई पदोन्नति में वरिष्ठता क्रम बदलकर 15 वें स्थान से 7 वें स्थान पर लाने की असफल साज़िश एक महिने पहले दो बार रची गई और तीसरी बार इस साजिश को फिर से अंजाम देने की कोशिशें की जा रही हैं।
दूसरे नंबर पर सागर के प्रभारी चीफ इंजीनियर आर.एल.वर्मा का नाम आता है जो 2019 से चीफ इंजीनियर हैं । कमलनाथ सरकार के समय यह महत्वपूर्ण पद पाने वाले इस भ्रष्ट अधिकारी की जमावट इतनी जबरदस्त है कि उन्हें बीजेपी की शिवराज सरकार के बाद मोहन यादव सरकार भी नहीं हटा पा रही है।
वहीं दस साल पहले लोकायुक्त छापे में पकड़े गए आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी एस.एल. सर्यवंशी को पीआईयू में अतिरिक्त परियोजना संचालक के पद पर चार साल बाद हमीदिया अस्पताल भवन के निर्माण में करोड़ों रुपए की गड़बड़ी करने के आरोप में 6 महिने पहले हटा तो दिया गया है लेकिन उनके संरक्षकों ने उन्हें ग्वालियर का प्रभारी चीफ इंजीनियर बीएंडआर बनाकर फिर मलाई का कटोरा थमा दिया है।
तीसरा नंबर पीआईयू जबलपुर में 18 सितंबर 2020 से प्रभारी अतिरिक्त परियोजना संचालक बनकर बैठे आर.के.अहिरवार हैं। इन्होंने आला अधिकारी से इतना अच्छा तालमेल बना रखा है कि एक पद पर 5 साल बीतने के बावजूद उन्हें रीवा पीआईयू का अतिरिक्त चार्ज भी दे दिया गया है।
चौथे नंबर पर हैं फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने के एक अन्य आरोपी व्ही.के.आरख । वे 20 दिसंबर 2020 से ग्वालियर में पीआईयू में प्रभारी चीफ इंजीनियर के पद पर 5 साल से पदस्थ हैं।
तीन साल तक ही एक पद पर रहने के नियम को ठेंगा दिखाने वालों में मुख्यमंत्री मोहन यादव के गृह जिला उज्जैन के प्रभारी चीफ इंजीनियर योगेश वागोले भी शामिल हैं। करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे वागोले दिसंबर 2020 से पदस्थ हैं। शिवराज सरकार में गोटियां जमाकर चार साल बीताने के बाद वागोले नई सरकार में भी अच्छी खासी घुसपैठ करके एक साल से अंगद के पैर की तरह इस पद पर डटे हुए हैं।
दरअसल अधिकारियों के एक पद पर रहने की समय सीमा खत्म हो जाने के बावजूद उनके पद पर जमे रहने के पीछे भ्रष्टाचार ही सबसे बड़ा कारण है। बेईमानी की काली कमाई से संतरी से लेकर मंत्री स्तर तक होने वाला तगड़ा लेन-देन इन सभी प्रभारी चीफ इंजीनियर्स की कुर्सी को बचाए हुए हैं।
पहले लोक निर्माण विभाग में आमतौर पर हर दो साल में इंजीनियर्स के प्रभार बदले जाने को लेकर कवायद चलती रहती थी जिससे अनियमितताओं के प्रतिशत में कमी भी आती थी। लेकिन भ्रष्टाचार की बेल अब नीचे से ऊपर तक लहलहाने से अधिकारी कमाऊ पदों पर जमें रहकर खूब मलाई मार रहे हैं और अपने आका को भी मालामाल कर रहे हैं।
वर्षों से एक ही पद पर जमें और लोक निर्माण मंत्री तक पहुंच रखने वाले इन सभी प्रभारी चीफ इंजीनियर का प्रभाव इसी बात से लगाया जा सकता है कि जबलपुर चीफ इंजीनियर ने 20 साल से जबलपुर संभाग में ही अलग अलग पदों पर ही पदस्थ रहने का नया रिकार्ड भी बना चुके हैं।