पिछले कुछ महीनों से इस दरभा डिवीजन में पुलिस के बढ़ते दबाव से आखिरकार पांडू मड़कामी ने सरेंडर कर दिया. पुलिस ने बताया कि पांडु पर 3 लाख रुपये का इनाम घोषित था और लंबे समय से पुलिस को इसकी तलाश थी लेकिन खुद पांडु ने CRPF 80वीं बटालियन और जिला पुलिस बल के जवानों से संपर्क कर सरेंडर किया.
चल रहा था एंटी नक्सल ऑपरेशन-एसपी
बस्तर के एसपी जितेंद्र सिंह मीणा ने बताया कि, दरभा इलाका नक्सलियों का
गढ़ हुआ करता था और देश की सबसे बड़ी नक्सल वारदातों में से एक झीरम घाटी
हमला भी इसी दरभा डिवीजन में हुई थी. घटना के बाद से लगातार इस इलाके में
पुलिस कैंप खोलकर जवानों द्वारा एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाया जा रहा था और इसी
दबाव में आकर लगातार इस इलाके में नक्सलियों ने सरेंडर किया.
22 से ज्यादा वारदातों में शामिल-एसपी
एसपी ने बताया कि, जन मिलिशिया कमांडर रहे और जनताना सरकार प्रमुख रहे
पांडू की भी पुलिस लंबे समय से तलाश कर रही थी जिसके बाद आखिरकार खुद पांडू
मड़कामी ने पुलिस से संपर्क कर सरेंडर किया. पूछताछ पर पांडू ने बताया कि
वह 22 से भी ज्यादा नक्सली वारदातों में शामिल रह चुका है. साथ ही गांव के
युवाओं को नक्सली संगठन में भर्ती कराता था. इसके साथ ही ओडिशा और
छत्तीसगढ़ के सीमा पर मौजूद तुलसी डोंगरी में नक्सलियों को सरहद पार कराने
और उनके लिए रसद पानी की व्यवस्था करता था.
पांडु के सरेंडर करने से न सिर्फ इस इलाके में नक्सली संगठन कमजोर हुआ है, बल्कि पांडु के सरेंडर से अब दहशत भी कम हो गयी है. वहीं पांडू से लगातार पूछताछ जारी है. नक्सली संगठन के बारे में और भी खुलासे पांडू से हो सकते हैं. फिलहाल 10 हजार की प्रोत्साहन राशि देने के साथ ही जल्द ही पुनर्वास नीति के तहत लाभ भी पांडु मड़कामी को मिलने की बात बस्तर एसपी ने कही है.