नई दिल्ली: टेस्ट करियर की तीसरी पारी में शतक, 7वीं पारी में फिर शतक और 11वीं पारी में फिर शतक। यानी पहली 11 पारियों में तीन टेस्ट शतक और वो भी तीनों विदेशी जमीन पर। सिडनी, कोलंबो और किंग्सटन। जरा तुलना कीजिए इन आंकड़ों की विराट कोहली के टेस्ट करियर की पहली 11 नहीं बल्कि 13 पारियों से। एक भी टेस्ट शतक नहीं। जाहिर सी बात है जब केएल राहुल भारतीय क्रिकेट में आए तो उन्हें नई पीढ़ी के एक दमदार बल्लेबाज के रूप में देखा गया, जैसा कि आज शुभमन गिल को देखा जा रहा है। लेकिन, अच्छी शुरुआत क्रिकेट में कामयाबी के लिए सिर्फ काफी नहीं होती है। बेहतरीन खिलाड़ी प्रतिभा को अक्सर देर सवेर प्रदर्शन में तब्दील करना ही पड़ता है।राहुल के लिए टेस्ट क्रिकेट की राह उल्टी चाल की तरह रही है। राहुल के पिछले 3 शतक अब तक 61 पारियों में आए हैं। कहां 11 पारियों में 3 शतक और कहां 61 पारियों में 3 शतक। 47 टेस्ट के करियर में 7 शतक बनाने वाले राहुल के करियर को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। पहले तीन शतक में बेहद प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी और आखिरी तीन शतक के दौरान जरुरत से ज्यादा मौके मिलने के बावजूद बड़े स्कोर के लिए जूझता खिलाड़ी। राहुल खुद को भाग्यशाली मान सकते हैं कि वो उस टीम के लिए खेल रहें है, जिसके कोच राहुल द्रविड़ हैं जो उन्हें बचपन से जानते हैं। अपनी क्रिकेट की खूबियां और खामियों की चर्चा केएल ने द्रविड़ को छोड़कर शायद ही किसी से इतनी की हो। लेकिन, अब द्रविड़ के लिए भी राहुल का बचाव करना उन्हें सवालों के घेरे में ला रहा है। जैसा कि द्रविड़ के पूर्व साथी खिलाड़ी वेंकटेश प्रसाद लगातार ट्विटर पर केएल की धज्जियां उड़ाकर कर रहें हैं। सुनील गावस्कर समेत कई पूर्व ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज जो अब कमेंटेटर की भूमिका में है वो भी राहुल को लेकर तीखी आलोचना कर रहें हैं। दो दशक पहले द्रविड़ के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था। 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में जब द्रविड़ जूझ रहे थे तो इयन चैपल उन पर हमला बोल रहे थे।
द्रविड़ ने इसके बाद कोलकाता में वीवीएस लक्ष्मण के साथ अविस्मरणीय साझेदारी की और 180 रनों की पारी खेली, जिसे टेस्ट क्रिकेट की सबसे बेहतरीन सहायक पारियों में से गिना जाता है। उसके बाद से द्रविड़ ने शायद ही संघर्ष का लंबा दौर देखा हो। क्या अपने आदर्श और कोच द्रविड़ की इस कहानी से प्रेरणा लेकर केएल भी दिल्ली टेस्ट की चौथी पारी में ऐसा कुछ करेंगे कि पुराने सारी नाकामियां एक साथ भूला दी जा सकेंगी? अगर वो ऐसा नहीं कर पाते हैं तो टेस्ट क्रिकेट में लगातार मौके मिलने वाला हनीमून पीरियड अब उनके लिए खत्म हो जाएगा।