मध्यप्रदेश के लोक निर्माण विभाग ने इंदौर में जिला अदालत के निर्मिणाधीन भवन का ठेका लेने वाली गुजरात की अरकान इन्फ्रा लिमिटेड की फर्जी बैलेंस शीट और अनुभव प्रमाण पत्र को सही ठहराने वाले तत्कालीन प्रभारी चीफ इंजीनियर जी पी वर्मा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी है। इस मामले में वर्मा इंदौर हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमे में इसी ठेकेदार कंपनी के दस्तावेज असली होने का हलफनामा देकर जेल जाने की तैयारी पहले ही कर चुके हैं
दरअसल जिला अदालत के भवन निर्माण का पहला ठेका निरस्त होने के बाद 23 अक्टूबर 2023 में गुजरात की अरकान इन्फ्रा लिमिटेड ने यह ठेका लिया था। इसके लिए हुई टैंडर प्रक्रिया में दूसरे नंबर पर आने वाली कल्याण टोल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने ठेका लेने वाली कंपनी की बैलेंस शीट और अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी होने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन चीफ इंजीनियर भवन जी पी वर्मा से शिकायत की थी। लेकिन
वर्मा ने ठेकेदार कंपनी से सांठगांठ के चलते उसके सभी दस्तावेजों को सही ठहराते हुए शिकायत खारिज कर दी।
इसके बाद शिकायतकर्ता कंपनी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दिए गए ठेके के मामले को लेकर इंदौर हाईकोर्ट पहुंच गई। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान भी ठेकेदार कंपनी से उपकृत प्रभारी चीफ इंजीनियर वर्मा ने सभी दस्तावेज वैध होने का दावा किया और ऐसा हलफनामा भी दिया।
इसी बीच 08 मई 2024 को मुख्यमंत्री मोहन यादव को इस संबंध एक शिकायत मिली। जब इंदौर के वर्तमान चीफ इंजीनियर मरकाम सिंह रावत से इसकी जांच कराई गई तो हकीकत में ठेकेदार कंपनी की बैलेंस शीट और अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी निकले। इसके बाद 07 जून 2024 को अरकान इन्फ्रा लिमिटेड का ठेका निरस्त कर दिया गया।
सरकार के साथ इतनी बड़ी धोखाधड़ी करने के बावजूद सांठगांठ में माहिर प्रभारी चीफ इंजीनियर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। लेकिन मामले के ठंडे बस्ते में जाने से पहले इसको लेकर फिर एक शिकायत हो गई। इसमें वर्मा की सांठगांठ से सरकार को आर्थिक नुकसान होने और उसकी छवि खराब होने की बात कही गई।
वर्मा को निपटाने के लिए जानबूझकर कराई गई इस शिकायत को लेकर विभागीय उपसचिव नियाज़ अहमद खान ने गजब की फुर्ती दिखाई । उन्होंने शिकायत मिलने के चार दिन बाद ही इसकी जांच के लिए तत्काल पीडब्ल्यूडी के सचिव ए आर सिंह , ओएसडी राजेश कागरा और एस एस वर्मा की तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी।
समिति ने इंदौर में तत्कालीन एक्जीक्यूटिव इंजीनियर भवन अजय यादव , लेखाधिकारी भवन यशोधरा राजे और वरिष्ठ लेखा लिपिक भवन अतुल नागाइच से पूछताछ की तो उन्होंने जी पी वर्मा की कलई खोल कर रख दी। समिति को मिले अभिलेखों से भी ठेकेदार कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए तत्कालीन प्रभारी चीफ इंजीनियर द्वारा की गई बदमाशी और मिलीभगत प्रमाणित हो गई।
समिति की रिपोर्ट मिलते ही उपसचिव खान ने वर्मा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने के आदेश जारी कर दिए। इसमें उनका फंसना तय है।
इंदौर में प्रभारी चीफ इंजीनियर भवन रहने के सात महिने के छोटे से कार्यकाल में करोड़ों रुपए का बड़ा खेल कर जाने वाले वर्मा फिलहाल भोपाल स्थानांतरित होने के बाद सात महिने से मुख्यालय में प्रभारी चीफ इंजीनियर की हैसियत से ब्रिज बेसिन की कमान संभाल रहे हैं।
विभागीय जांच पूरी होने के बाद उनका क्या होगा.....? को लेकर मशहूर फिल्म शोले में गब्बर सिंह और कालिया के बीच हुए संवाद और उसके बाद का घटनाक्रम याद आ रहा है। इसमें संवाद खत्म होने के बाद गब्बर सिंह की पिस्तौल से चली पहले तीन हवाई फायर की तरह विभागीय जांच का फायर हवाई होगा या बाद में किए गए तीन फायर की तरह मुजरिम को सजा देने वाला होगा ? यह तो विभागीय जांच में रखी जाने वाली ईमानदारी और बेईमानी का पैमाना ही तय करेगा।
उल्लेखनीय है की दतिया मे कार्य पालन यंत्री रहे वर्मा ने कोर्ट क्वाटर के निर्माण मे भी भारी गड़बड़ी की थी जिसकी जाँच लम्बे समय तक चली लेकिन वर्मा पैसों की दम पर इससे बच निकले थे।