पहली बार छत्तीसगढ़ी भाषा में छंद बद्ध तरीके से गणेश वंदना लिखी और गाई गई है। इस वंदना को हास्य कवि गजराज दास महंत और स्वयंसिद्धा एनजीओ की फाउंडर डॉ. सोनाली चक्रवर्ती ने अपनी आवाज दी है। वहीं स्लम क्लास 'कच्ची धूप' के बच्चों ने इसमें कोरस गाया है। यह गणेश वंदना यूट्यूब चैनल पर खूब पसंद की जा रही है। कवि गजराज का कहना है कि छत्तीसगढ़ी में पहली बार उन्होंने गणेश वंदना को छंदबद्ध तरीके से पिरोने का काम किया है।
डॉ. सोनाली चक्रवर्ती और गजराज दास महंत ने इसे लेकर बातचीत की। उन्होंने बताया कि यह गणेश वंदना छंद बद्ध चौपाई के तरीके से लिखी गई है। इसमें सात चौपाई हैं। सभी चौपाई छंद बद्ध तरीके से लिखी गई हैं। इसमें संगीत वीके सुंदरेश ने दिया है। गणेश वंदना का जो वीडियो यू-ट्यूब में डाला गया है वह इस बार गणेश पूजा के दिन से ही गणेश पंडालों में गूंजेगा।
इस गीत के वीडियो में स्वयंसिद्धा समूह के सदस्यों ने अभिनय किया है। इसकी शूटिंग गणेश मंदिर हुडको में की गई है। इसमें महाराष्ट्र मंडल के सभी पदाधिकारियों का विशेष सहयोग रहा। इस छत्तीसगढ़ी गणेश वंदना को गणेश चतुर्थी के अवसर पर छत्तीसगढ़ वासियों को समर्पित किया गया है।
स्लम एरिया के बच्चों ने गाया कोरस
गणेश वंदना के की गाने की सूटिंग के दौरान कोरस गायन स्लम एरिया के बच्चों ने गाया है। इसमें स्ल्म क्लास 'कच्ची धूप' के बच्चे अजय देश लहरा, प्रताप सिंह, शिल्पी शर्मा, श्याम यादव, रीना साहू, अलका निषाद आदि शामिल रहे।