पीएमओ ने कहा कि राजपथ सत्ता का प्रतीक था और उसे कर्तव्यपथ का नाम देना बदलाव का परिचायक है। कर्तव्यपथ का उद्घाटन और सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री मोदी के पंच प्रण के आह्वान के दूसरे प्रण के अनुकूल है, जिसमें उन्होंने औपनिवेशिक मानसिकता की हर निशानी खत्म करने की बात कही थी।
क्या है सेंट्रल विस्टा
इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक राजपथ के दोनों ओर का क्षेत्र सेंट्रल
विस्टा कहलाएगा। इसके तहत नया संसद भवन, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के
आवास और कार्यालय होंगे। नया संसद भवन 64,500 वर्ग मीटर में होगा।
क्यों हुआ पुनर्विकास
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, वर्षों से, राजपथ और सेंट्रल विस्टा
एवेन्यू के आसपास के इलाकों में आगंतुकों की बढ़ती भीड़ का दबाव देखा जा
रहा था, जिससे इसके बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ रहा था। इसमें सार्वजनिक
शौचालय, पीने के पानी, स्ट्रीट फर्नीचर और पार्किंग स्थल की पर्याप्त
व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। इसके अलावा, मार्गों के पास
अपर्याप्त बोर्ड, पानी की खराब सुविधाएं और बेतरतीब पार्किंग थी। साथ ही,
गणतंत्र दिवस परेड और अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों के दौरान कम गड़बड़ी और
जनता की आवाजाही पर कम से कम प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता महसूस की गई। इन
चिंताओं को ध्यान में रखते हुए पुनर्विकास किया गया जबकि वास्तु शिल्प का
चरित्र बनाये रखने और अखंडता भी सुनिश्चित की।
कैसा होगा कर्तव्य पथ
पीएमओ की तरफ से बुधवार को जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि कर्तव्य पथ
बेहतर सार्वजनिक स्थानों और सुविधाओं को प्रदर्शित करेगा, जिसमें पैदल
रास्ते के साथ लॉन, हरे भरे स्थान, नवीनीकृत नहरें, मार्गों के पास लगे
बेहतर बोर्ड, नई सुख-सुविधाओं वाले ब्लॉक और बिक्री स्टॉल होंगे। इसके
अलावा इसमें पैदल यात्रियों के लिए नए अंडरपास, बेहतर पार्किंग स्थल, नए
प्रदर्शनी पैनल और रात्रि के समय जलने वाली आधुनिक लाइटों से लोगों को
बेहतर अनुभव होगा। इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, भारी वर्षा के कारण एकत्र जल
का प्रबंधन, उपयोग किए गए पानी का पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन और ऊर्जा
कुशल प्रकाश व्यवस्था जैसी अनेक दीर्घकालिक सुविधाएं शामिल हैं।