उन्होंने बताया, टेस्ट के दौरान कई तरह की परिस्थितियों के तहत, लॉन्ग रेंज मीडियम अल्टीट्यूड, शॉर्ट रेंज, हाई एल्टीट्यूड मैनुवरिंग टारगेट, लो राडार सिग्नेचर, क्रॉसिंग टारगेट्स और दो मिसाइलों को एक के एक बाद दागकर टारगेट के बचने और खत्म होने की समीक्षा की गई।
मंत्रालय ने कहा कि परीक्षण को दिन और रात दोनों परिस्थितियों में किया गया। परीक्षण के दौरान, सभी मानकों को पूरा किया और मिसाइल के वॉरहेड चेन की भी जांच की गई।
आईटीआर द्वारा तैनात टेलीमेट्री, रडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (ईओटीएस) जैसे कई रेंज उपकरणों की भी जांच की। ताकि यह पता चल सके कि ये सभी मिसाइल और दुश्मन के टारगेट को सही से ट्रैक कर रहे हैं या नहीं। सभी सिस्टम सही तरीके से काम कर रहे हैं। डीआरडीओ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने लॉन्च में भाग लिया।
जानकारी के मुताबिक, इन मिसाइलों में स्वदेशी रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर (आरएफ) लगे हैं। इसके अलावा मोबाइल लॉन्चर, ऑटोमेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, सर्विलांस और मल्टी-फंक्शन राडार भी है।
क्यूआरएसएएम सिस्टम की विशेषता यह है कि यह अपने टारगेट का पीछा कर मारता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मिसाइल के सफल परीक्षण पर डीआरडीओ और भारतीय सेना को बधाई दी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली सशस्त्र बलों को एक महत्वपूर्ण ताकत देगी।