मनुष्य के गुण उसे देवता बना देते हैं, ये हम सबने सुना है। मगर क्या किसी पशु के दैवीय गुण उसे पूजनीय बना सकते हैं? क्या कोई ऐसा मन्दिर हो सकता है, जहां किसी स्वामिभक्त कुत्ते की समाधि हो और वहां लोग आस्था से अपने सर झुकाएं। ऐसा ही एक अनोखा मन्दिर है बालोद जिले का कुकुरदेव मन्दिर। जहां आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहुंचे और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक बन चुके बेजुबान जानवर की स्मृति को नमन किया।
जनश्रुति के अनुसार खपरी कभी बंजारों की एक बस्ती थी जहां एक बंजारे के पास एक स्वामी भक्त कुत्ता था। कालांतर में क्षेत्र में एक भीषण अकाल पड़ा जिस वजह से बंजारे को अपना कुत्ता एक मालगुजार को गिरवी रखना पड़ा। मालगुजार के घर एक दिन चोरी हुई और स्वामीभक्त कुत्ता चोरों द्वारा छुपाए धन के स्थल को पहचान कर मालगुजार को उसी स्थल तक ले गया। मालगुजार कुत्ते की वफादारी से प्रभावित हुआ और उसने कुत्ते के गले में उसकी वफादारी का वृतांत एक पत्र के रूप में बांधकर कुत्ते को मुक्त कर दिया। गले में पत्र बांधे यह कुत्ता जब अपने पुराने मालिक बंजारे के पास पहुंचा तो उसने यह समझ कर कि कुत्ता मालगुजार को छोड़कर यहां वापस आ गया क्रोधवश कुत्ते पर प्रहार किया। जिससे कुत्ते मृत्यु हो गई। बाद में बंजारे को पत्र देखकर कुत्ते की स्वामी भक्ति और कर्तव्य परायणता का एहसास हुआ और वफादार कुत्ते की स्मृति में कुकुर देव मंदिर स्थल पर उसकी समाधि बनाई। फणी नागवंशीय राजाओं द्वारा 14 वीं 15 वीं शताब्दी में यहां मन्दिर का निर्माण करवाया गया। मुख्यमंत्री ने आज कुकुरदेव मन्दिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की।