मुख्यमंत्री निवास में तीजा-पोरा तिहार शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल ने महादेव शिव की पूजा-अर्चना से पर्व की शुरुआत की। आयोजन में शामिल होने महिला जनप्रतिनिधि और प्रदेश भर से अनेक महिलाएं पहुंची हुई हैं। दिल्ली से कांग्रेस की नेत्रियां अलका लांबा और रागिनी नायक भी तीज मनाने मुख्यमंत्री निवास पहुंची हुई हैं।
छत्तीसगढ़ का पोरा तिहार मूल रूप से खेती किसानी से जुड़ा पर्व है। खेती किसानी में बैल और गौवंशी पशुओं के महत्व को देखते हुए इस दिन उनके प्रति आभार प्रकट करने की परंपरा है। छत्तीसगढ़ के गांवों में इस पर्व में बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है। उनकी पूजा की जाती है। इस मौके पर घरों में बच्चे मिट्टी से बने नंदी बैल और बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं। घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़चीला, गुलगुला, भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। इस पर्व के अवसर पर बैलों की दौड़ भी आयोजित की जाती है।
निर्जला उपवास का पर्व है तीजा
छत्तीसगढ़ में तीजा (हरतालिका तीज) की विशिष्ट परम्परा है। तीजहारिन महिलाएं तीजा मनाने ससुराल से मायके आती हैं। तीजा मनाने के लिए बेटियों को पिता या भाई ससुराल से लिवाकर आते हैं। छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व की इतना अधिक महत्व है कि बुजुर्ग महिलाएं भी इस खास मौके पर मायके आने के लिए उत्सुक रहती हैं। महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए तीजा पर्व के एक दिन पहले करू भात ग्रहण कर निर्जला व्रत रखती हैं।पोला व तीज पर्व के लिए मुख्यमंत्री निवास में विशेष तैयारियां की गई हैं। मुख्यमंत्री निवास में पहले पोला की परंपरा निभाई गई। इस मौके पर नंदी बैल की पूजा की गई। इसी के साथ ही यहां पर तीजा महोत्सव भी शुरू हो गया। तीजा महोत्सव के लिए प्रदेश के विभिन्न स्थानों से तीजहारिनों को खास निमंत्रण भेजकर बुलाया गया है। यहां करूभात की भी व्यवस्था है।