गोधन न्याय योजना देश-दुनिया की इकलौती ऐसी योजना है, जिसके तहत छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में 2 रूपए किलो की दर से गोबर तथा 4 रूपए लीटर की दर से गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। गौठानों में 15 अगस्त तक खरीदे गए 79.12 लाख क्विंटल गोबर के एवज में ग्रामीणों को 158.24 करोड़ रूपए का भुगतान भी किया जा चुका है। 5 सितंबर को गोबर विक्रेताओं को 2.69 करोड़ रूपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 160.94 करोड़ रूपए हो जाएगा। गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 154.02 करोड़ रूपए राशि की भुगतान किया जा चुका है। गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूह को 5 सितंबर को 2.40 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 156.42 करोड़ रूपए हो जाएगा।
गौठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस एवं अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। महिला समूहों द्वारा 17.57 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 5.28 लाख क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट एवं 18,924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से क्रमश: 10 रूपए, 6 रूपए तथा 6.50 रूपए प्रतिकिलो की दर पर विक्रय किया जा रहा है। महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 80.30 करोड़ रूपए की आय हो चुकी हैं। राज्य में गौठानों से 11,187 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 83,874 है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरूआत की जा चुकी है।
उल्लेखनीय है कि गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की शुरूआत भी रायपुर के हीरापुर-जरवाय गौठान में हो चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गौठानों को रूरल इण्डस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए तेजी से कृषि एवं वनोपज आधारित प्रसंस्करण इकाईयां, गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण के लिए यूनिटें स्थापित की जा रही हैं। 227 गौठानों में तेल मिल तथा 292 गौठानों में दाल मिल सहित मिनी राईस मिल एवं अन्य प्रकार यूनिटे स्थापित किए जाने का काम तेजी से जारी है।
राज्य में गोधन के संरक्षण और सर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार एवं चारे-पानी का नि:शुल्क बेहतर प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,624 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 8408 गौठान निर्मित एवं 1758 गौठान निमार्णाधीन है। स्वावलंबी गौठानों ने अब तक स्वयं की राशि से 18.24 करोड़ रूपए का गोबर क्रय किया है। गोधन न्याय योजना से 2 लाख 52 हजार से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 45.90 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है। इस योजना से एक लाख 48 हजार से अधिक भूमिहीन परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।
फिलहाल राज्य के 72 गौठानों में स्व-सहायता समूहों द्वारा गौमूत्र की खरीदी पुशपालकों से की जा रही है। अब तक 21,492 लीटर गौमूत्र की खरीदी की जा चुकी है, जिससे महिला समूहों ने 5160 लीटर ब्रम्हास्त्र कीटनाशक एवं 6582 लीटर जीवामृत तैयार किया है। किसान इसे खेती में उपयोग के लिए क्रय कर रहे हैं। महिला समूहों द्वारा अब तक लगभग ढाई लाख रूपए के गौमूत्र की कीटनाशक ब्रम्हास्त्र व जीवामृत की बिक्री की जा चुकी है।