दिल्ली विधानसभा में सोमवार को विश्वास मत प्रस्ताव पर चर्चा से पहले भाजपा के विधायकों ने जोरदार हंगामा किया। इस दौरान विधायक बेल में आ गए और मनीष सिसोदिया के इस्तीफे की मांग करने लगे। विधायकों के हंगामे को देखते हुए डिप्टी स्पीकर राखी बिरला ने भाजपा विधायकों को पूरे दिन के लिए मार्शल आउट करने का निर्देश दे दिया।
दिल्ली में ऑपरेशन लोटस को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में विश्वास मत पेश किया। प्रस्ताव पेश करते हुए केजरीवाल ने कहा कि विपक्ष के नेता ड्रामेबाजी में विश्वास करते हैं। विश्वास मत पर चर्चा के बाद वोटिंग भी होगी।
विश्वास प्रस्ताव की 2 वजहें
विश्वास प्रस्ताव क्यों लाया जाता है, प्रक्रिया भी जानिए
संसदीय
प्रक्रिया के मुताबिक राज्यों में विश्वास प्रस्ताव विधानसभा में लाया
जाता है, जिसे मौजूदा सरकार यानी मुख्यमंत्री ही प्रस्तावित करता है।
स्पीकर विश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करता है तो सदन में सत्तापक्ष को बोलने
का मौका मिलता है।
हालांकि विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति या राज्यपाल भी सरकार से सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए कह सकते हैं। इस स्थिति में यदि सरकार विश्वास मत जीत जाती है तो 15 दिन बाद विपक्ष दोबारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है।
केजरीवाल के पास दो तिहाई से ज्यादा बहुमत
शुक्रवार
26 अगस्त को दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में भी जमकर हंगामा हुआ था।
सेशन के दौरान सदन की कार्रवाई रिकॉर्ड करने के कारण BJP के विधायकों को
मार्शल के तहत बाहर कर दिया गया था। हालांकि दिल्ली विधानसभा में आम आदमी
पार्टी के 62 विधायक हैं, जबकि भाजपा के केवल आठ। इसके चलते विश्वास
प्रस्ताव आसानी से पारित हो जाने की संभावना है।
यह है आप-भाजपा में कलह की वजह
आबकारी
नीति को लेकर 19 अगस्त को मनीष सिसोदिया के घर पर CBI ने छापेमारी की थी।
जो करीब 14 घंटे तक चली थी और CBI ने इस मामले में PMLA कानून के तहत केस
दर्ज कर लिया था। इसके बाद से ही AAP केंद्र में सत्ताधारी दल भाजपा के
खिलाफ मुखर है। सिसोदिया ने छापे के बाद कहा था कि भाजपा ने उन्हें AAP
छोड़ने और CM बनाने का ऑफर दिया था। वहीं भाजपा ने जवाब में कहा-
भ्रष्टाचार के आरोप से बचने के लिए आम आदमी पार्टी झूठ का माहौल बना रही
है।