रिटेल कारोबार में मुकेश अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज और गौतम अडानी
समूह के बीच वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो चुकी है। गौतम अडानी समूह की अडानी
विल्मर आने वाले महीनों में कई अधिग्रहण की योजना बनाई है तो वहीं रिलायंस
रिटेल ने कारोबार विस्तार के लिए उधारी सीमा को बढ़ा दी है।
1 लाख करोड़ की उधारी:
रिलायंस रिटेल ने अपनी उधार सीमा को बढ़ाने के लिए शेयरधारकों से
मंजूरी मांगी है। कंपनी उधार सीमा को 50,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर एक लाख
करोड़ रुपये करना चाहती है। 31 मार्च, 2022 तक कंपनी की उधारी 40,000 करोड़
रुपये थी। अब शेयरधारकों से मंजूरी के बाद कंपनी कर्ज के तौर पर 60,000
करोड़ रुपये तक जुटा सकेगी।
रिलायंस रिटेल के मुताबिक कंपनी ने अधिग्रहण और रणनीतिक साझेदारी
पर अपनी स्टोर उपस्थिति का विस्तार करने के लिए 2021-22 में 30,000 करोड़
रुपये का निवेश किया था। वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में रिलायंस
रिटेल की उधारी 14,745.88 करोड़ रुपये थी जो पूरी तरह से अल्पकालिक ऋण थी।
2021-22 के लिए परिचालन से रिलायंस रिटेल का स्टैंडअलोन राजस्व 29% सालाना
आधार पर 1,93,456 करोड़ रुपये हो गया, जबकि शुद्ध लाभ 4,934 करोड़ रुपये
था।
कारोबार विस्तार में जुटी रिलायंस:
आपको बता दें कि
रिलायंस रिटेल छोटे बाजारों पर जोर दे रही है। रिलायंस रिटेल विस्तार योजना
के तहत अब एफएमसीजी क्षेत्र का दायरा बढ़ाने के साथ अपना खुद का ब्रांड
लेकर आएगी। इसकी कमान मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी के पास होगी।
रिलायंस रिटेल देश में किराना सामान और कई अन्य उत्पाद बेचने वाले 15,196
स्टोर के साथ सबसे बड़ी खुदरा कंपनी है। इस क्षेत्र में कंपनी सीधा गौतम
अडानी से टक्कर लेगी, जो हाल में अंबानी को पछाड़कर देश के सबसे अमीर
व्यक्ति बन गए हैं।