वन मंत्री डॉ. शाह ने कहा कि आयुर्वेद के व्यापक इस्तेमाल से वन औषधि उत्पादक ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधारात्मक बदलाव होगा। उन्होंने कहा कि विश्व पटल पर आयुर्वेद ने अपनी अलग पहचान बनाई है। वन मंत्री ने बताया कि आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण द्वारा आयुर्वेद के क्षेत्र में नया इतिहास रचा गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा है कि आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा में किए जा रहे उल्लेखनीय कार्य आम लोगों को निरोग बनाने में महत्वपूर्ण साबित होंगे।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद को जन-जन तक पहुँचाने की आवश्यकता है। इसके लिए गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के साथ आयुर्वेद के फायदों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी के समय पूरे विश्व ने आयुर्वेद के प्रभाव को देखा है।
सोविनियर का हुआ विमोचन
राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर देश के तकरीबन 100 विषय-विशेषज्ञ और
शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए अनुसंधान पेपर का प्रकाशन 'सोविनियर' का
विमोचन हुआ। वन मंत्री डॉ. कुंवर शाह ने आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण को
प्रतीक चिन्ह और शाल-श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया।
मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक पुष्कर सिंह ने संगोष्ठी में प्रस्तुत विषयों की जानकारी दी। सिंह ने कहा कि राज्य लघु वनोपज संघ आयुर्वेद के विकास की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करेगा।
संगोष्ठी में बेहतर अनुसंधान पेपर प्रस्तुत करने के लिए डॉ. हरिओम सक्सेना, डॉ. वन्दना गुप्ता, श्रीमती एलिजाबेथ थॉमस, श्रीमती रूचि भाटिया कपूर, श्रेयस कौशिक, कपिल सारस्कर, सुश्री विशाखा कुम्बरम, विनोद धोटे, अनुश्री और शिवानी को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल, प्रधान मुख्य वन सरंक्षक एवं वन बल प्रमुख आर.के. गुप्ता भी मौजूद थे।
लघु वनोपज प्र-संस्करण केन्द्र भोपाल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी दिलीप कुमार ने आभार माना।