( टीन शेड से लाखों रुपए महीने की आय , पूरा पैसा मंडी सचिव अशोक ठाकुर की जेब में )
( प्रमिल अग्रवाल )
हरदा // हरदा जिले की आदर्श कृषि उपज मंडी हरदा में मंडी सचिव अशोक ठाकुर की मिलीभगत से मंडी सचिव लाखों का भ्रष्टाचार कर रहे हैं। व्यापारियों से सांठ गांठ कर किसानो की जो ट्रैक्टर ट्रालियां टीन शेड में लगती है व्यापारियों ने कब्जा जमा लिया है।
मंडी में आने जाने वाले सैकड़ों किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मक्का, सोयाबीन की बंपर आवक होने के कारण किसानो की ट्रैक्टर ट्रालियां को बाहर भी खड़ा करना पड़ता है
टीन शैडो में व्यापारियों का माल रखा हुआ है। क्योंकि व्यापारियों ने तो मंडी के अधिकारियों को कमीशन देकर मंडी के टीन सेडों पर अपना कब्जा जमा रखा है। जिससे मंडी के टीन शेडों में व्यापारीयों का ही माल कई सालों से माल रखा हुआ है।जिसके चलते टीन शेडों में कोई जगह नहीं है
*क्यों रखा व्यापारियों ने माल*
व्यापारी अपना माल को गोदामों में रखने की वजह मंडी में बने टीन शेडों में मंडी सेक्रेटरी से सेटिंग कर
लाखों का कमीशन के लालच में खरीदा हुआ माल टीन शेड में रख कर वेयरहाउस का किराया बचाने में लगे अधिकारी कर्मचारी और व्यापारियों के हौसले इतने क्यों बुलंद हो जाते है कि अपने आप को राजा हरिशचन्द्र समझकर दूसरों पर रौब झाड़ते नजर आते उनके विभाग के सक्षम अधिकारी भी इन लोगों पर कोई ध्यान नहीं देते क्या इसका कमिशन जिले के वरिष्ठ अधिकारी या विभाग के अधिकारियों को भी जाता है? कोई किसी अधिकारी कर्मचारी के तरफ देखता ही नहीं उच्च अधिकारियों का ध्यान नहीं होने से ऐसे भ्रष्ट अधिकारीयों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।
शेडों में अपना कब्जा जमा रखा है
मंडी बोर्ड के अधिकारी भी कमीशन लेकर मौन बने बैठे रहते है लगता है उन भ्रष्ट अधिकारियों का खर्चा भी व्यापारियों के कमीशन से चलता है फिर चाहे जनता का कुछ भी हो ठंड हो या गर्मी अन्नदाता परेशान होता हो तो हो वाहन धूप में खड़ा करें या छांव में इस बात से उन्हें कोई लेना देना नहीं है उन्हें तो अपनी जेबो में माल होने से मतलब है। कृषि उपज मंडी में व्यापारीयों ने अपना माल खरीदी कर टीन शेडों में अपना कब्जा जमा कर गोदामों में रखने की जगह मंडी के टीन शेडों में ही माल को रखकर रखा है जिससे आये दिन किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। व्यापारियों के माल रखे होने से टीन शेडों में जगह नहीं रह पाती है और किसानों को ट्रालियों को भी खड़ी करने के लिए कोई जगह नहीं रहती है और किसानों को चल फिर के लिए या छांव में बैठने के लिए एवं अन्य व्यापारियों को भी माल को खरीदने एवं बोली लागने में भी काफी परेशानियां होती हैं लेकिन इस बात से मंडी के अधिकारीयो को कोई लेनादेना नहीं है। हर महीने मंडी सचिव का लाखों रुपयों व्यापारियों से बंधा हुआ रहता है। मंडी के प्रभारी सचिब को तो अपने कमीशन से ही मतलब रहता है। किसान चाहे परेशान हो इससे उन्हें कोई लेना देना नहीं किसान अपने खून पसीने से फसल को उगाकर मेहनत कर मंडी में बेचने के लिए आते है और वहीं सैकड़ों बार उन्हें निराश होना पड़ता है कभी व्यापारियों की बजह से या कभी मंडी कर्मचारी की बजह से किसानों की ट्रालिया लगाने की जगह पर व्यपारियों ने अपना माल को गोदाम बना रखा है वाहन खड़े करने में किसानों को परेशानी होती है?