जशपुर नगर। छत्तीसगढ़ के जशपुर नगर में पहाड़ी कोरवा आदिवासी परिवार को दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज कराने के लिए पंडरापाठ चौकी प्रभारी को न केवल मुर्गा खिलाना पड़ा, बल्कि रिश्वत के रूप में एक हजार रुपये भी देने पड़े। इतना ही नहीं, दुष्कर्म पीड़िता की मेडिकल जांच के लिए उसके पति को वाहन किराए के लिए 500 रुपये, मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने के लिए दो बार जिला न्यायालय जशपुर आने- जाने में 3500-3500 रुपये भी वाहन किराये के रूप में देने पड़े।
इन खर्चों के लिए उसने 10,000 रुपये में अपनी जमीन गिरवी रख दी। पीड़िता के पति ने एसपी शशि मोहन सिंह से पूरे मामले की शिकायत की है और जांच कर न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।
उधर, एसपी से शिकायत के बाद पुलिस ने बलात्कार के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, रिश्वत मांगने के मामले की जांच एसडीओपी बगीचा को सौंप दी गई है। एसपी ने कहा कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने आदिवासी पर लगाया उल्टा आरोप
इस बीच, चौकी पुलिस का कहना है कि पीड़िता का पति एफआईआर में धारा 376 लगाने की मांग करते विवाद कर रहा था। उसे बताया गया कि नए कानून की बीएनएस की धारा 64 के अंर्तगत कार्रवाई की जा रही है, लेकिन वह नहीं माना और उच्चाधिकारियों को शिकायत करने पर अड़ गया।
जानकारी के मुताबिक दो दिसंबर को पंडरापाठ चौकी में जो शिकायत दी गई थी, उसके मुताबिक पड़ोस में हो रहे झगड़े में बीच बचाव करने के लिए महिला बाहर आई थी, उसी समय आरोपित उसे बलपूर्वक बगल की झाड़ी में ले गया और दुष्कर्म किया। मेडिकल में दुष्कर्म की पुष्टि हो चुकी है।